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Monday, July 7, 2025

धूपर ने एआईटीए महासचिव पद से हटाये जाने को अदालत में चुनौती दी, शुक्रवार को होगी सुनवाई

Newsधूपर ने एआईटीए महासचिव पद से हटाये जाने को अदालत में चुनौती दी, शुक्रवार को होगी सुनवाई

… अमनप्रीत सिंह …

नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) वरिष्ठ खेल प्रशासक अनिल धूपर ने सोमवार को अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) के महासचिव पद से खुद को हटाए जाने को चुनौती देते हुए कहा कि उनके निष्कासन से इस खेल संस्था में अराजकता फैल गई है और यह ‘दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले आदेश की अवहेलना है’। एआईटीए की कार्यकारी समिति ने 27 जून को बैठक कर धूपर को हटाने का प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि वह 70 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं और महासचिव के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। ऐसे में वह पद पर बने रहने के अयोग्य हैं। सुंदर अय्यर को अंतरिम महासचिव बनाया गया। धूपर ने अपने निष्कासन के लिए पारित प्रस्ताव पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन अदालत ने मामले को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। इसी दिन सोमदेव देववर्मन और पूरव राजा द्वारा दायर रिट याचिका पर आगे की सुनवाई होनी है। इन दोनों पूर्व भारतीय खिलाड़ियों ने पिछले साल एआईटीए चुनावों की वैधता को चुनौती दी थी। अदालत ने एआईटीए चुनावों को नहीं रोका था लेकिन परिणाम को एक सीलबंद लिफाफे में रखा है। चुनावों के परिणाम खिलाड़ियों द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई और फैसले के अधीन थे। राज्य संघों की ओर से पेश हुए पार्थ गोस्वामी ने कहा, ‘‘अदालत ने आज मामले की सुनवाई की और इसे 11 जुलाई 2025 के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत द्वारा आज कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया।’’ धूपर और एआईटीए अध्यक्ष अनिल जैन ने बैठक को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए कहा कि चूंकि महासंघ के चुनावों से संबंधित मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए कार्यकारी समिति ऐसा निर्णय नहीं ले सकती। धूपर ने अपनी याचिका में कहा कि एआईटीए कार्यकारी समिति द्वारा प्रस्ताव पारित करना अदालत के निर्देशों का स्पष्ट और जानबूझकर किया गया उल्लंघन है। याचिका के मुताबिक, ‘‘यह पूरा घटनाक्रम माननीय न्यायालय के अधिकार और गरिमा को ठेस पहुंचाने तथा इसके बाध्यकारी निर्देशों को निरर्थक बनाने की सोची-समझी साजिश को दर्शाता है। इस तरह का आचरण न केवल कानून के शासन को कमजोर करता है, बल्कि न्याय प्रणाली में संस्थागत विश्वास को भी कम करता है।’’ याचिका में कहा गया है कि कार्यकारी समिति के सदस्यों के इस काम से आवेदक को गंभीर नुकसान पहुंचा है। उन्हें अपने पद से गैरकानूनी तरीके से हटाया गया है और उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया है। इससे एआईटीए के प्रशासन में भ्रम और अराजकता पैदा हो गई है। भाषा आनन्द सुधीरसुधीर

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