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Tuesday, July 8, 2025

ओवैसी और रीजीजू के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सोशल मीडिया पर वार-पलटवार

Newsओवैसी और रीजीजू के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सोशल मीडिया पर वार-पलटवार

हैदराबाद, सात जुलाई (भाषा) ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू के बीच सोमवार को अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सोशल मीडिया पर वार-पलटवार होता दिखा।

ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता रीजूजू की उनके उस बयान के लिए आलोचना की जिसमें उन्हों कथित तौर पर कहा था कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदाय की तुलना में अधिक लाभ और सुरक्षा मिलती है। इसके जवाब में ओवैसी ने कहा कि अल्पसंख्यक के अधिकार मौलिक अधिकार हैं, कोई खैरात नहीं।

हैदराबाद के सांसद ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं। किरेन रिजिजू आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं। अल्पसंख्यकों के अधिकार उनके मौलिक अधिकार हैं, कोई खैरात नहीं।’’

ओवैसी ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं। हम बंधक हैं।’’

एआईएमआईएम प्रमुख ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर रीजीजू पर हमला बोला और पूछा कि क्या मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं? फिर खुद ही जवाब देते हुए कहा, ‘नहीं। लेकिन आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में जबरन शामिल करता है और उन्हें बहुमत बनाने की अनुमति देता है।’’

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप को ‘बंद’ कर दिया, 10वीं पूर्व की छात्रवृत्ति का वित्तपोषण ‘बंद’ कर दिया और 10वीं बाद की छात्रवृत्ति तथा प्रतिभा सह आर्थिक आधार से जुड़ी छात्रवृत्ति को सीमित कर दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सब इसलिए क्योंकि इससे मुस्लिम छात्रों को फायदा हुआ।’’ ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों की संख्या अब उच्च शिक्षा में घटी है और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ी है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वे (मुसलमान) आपकी सरकार की आर्थिक नीतियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सेवाओं की सबसे अधिक कमी है।

ओवैसी ने कहा, ‘‘हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों से अपनी तुलना नहीं चाहते। हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा की मांग नहीं कर रहे हैं। हम संविधान में दिए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की मांग कर रहे हैं।’’

एआईएमआईएम अध्यक्ष को जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रीजीजू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ठीक है… हमारे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे अल्पसंख्यक पलायन क्यों नहीं करते हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं।’’

ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में पलटवार करते हुए कहा, ‘‘अगर हम पलायन नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं। दरअसल, हमें भागने की आदत नहीं है: हम अंग्रेजों से नहीं भागे, हम विभाजन के दौरान नहीं भागे और हम जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली आदि नरसंहारों के कारण नहीं भागे। हमारा इतिहास इस बात का सबूत है कि हम न तो अपने उत्पीड़कों का साथ देते हैं और न ही उनसे छिपते हैं।’’

ओवैसी ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए कैसे लड़ना है और हम इंशाअल्लाह ऐसा करेंगे। हमारे महान राष्ट्र की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमा, नेपाल और श्रीलंका जैसे असफल राज्यों से करना बंद करें। जय हिंद, जय संविधान! इस मामले पर ध्यान देने के लिए आपको धन्यवाद!’’

भाषा

संतोष माधव

माधव

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