संयुक्त राष्ट्र, सात जुलाई (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर लाए गए एक मसौदा प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान से परहेज किया और कहा कि ‘‘सब कुछ सामान्य मान लेने’’ वाले दृष्टिकोण से ऐसे परिणाम प्राप्त होने की संभावना नहीं है, जिनकी कल्पना वैश्विक समुदाय ने अफगान लोगों के लिए की है।
‘अफगानिस्तान की स्थिति’ पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मतदान के स्पष्टीकरण में कहा कि संघर्ष के बाद की स्थिति से निपटने के लिए किसी भी प्रभावी नीति में विभिन्न उपायों का संतुलन होना चाहिए, जिसमें सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देना और नुकसानदायक कार्यों को हतोत्साहित करना शामिल है।
हरीश ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि केवल दंडात्मक उपायों पर केंद्रित दृष्टिकोण के सफल होने की संभावना नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अन्य संघर्ष-पश्चात संदर्भों में अधिक संतुलित और सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाया है।’’
उन्होंने कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय संकट से निपटने के लिए कोई नई नीतिगत व्यवस्था पेश नहीं की गई है।
हरीश ने कहा, ‘‘नई और लक्षित पहलों के बिना सब कुछ सामान्य मान लेने वाले रवैया से वे परिणाम प्राप्त होने की संभावना नहीं है, जिनकी कल्पना अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान लोगों के लिए करता है।’’
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प्रीति सुरेश
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