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Tuesday, July 8, 2025

कम जनसंख्या का मतलब प्रकृति के लिए सैदव बेहतर परिणाम नहीं होता,जापान को ही देख लें

Newsकम जनसंख्या का मतलब प्रकृति के लिए सैदव बेहतर परिणाम नहीं होता,जापान को ही देख लें

(पीटर मैटनले, शेफील्ड विश्वविद्यालय; केई उचिदा, तोक्यो सिटी विश्वविद्यालय और मासायोशी के. हिराइवा, किंडाई यूनिवर्सिटी)

शेफील्ड (ब्रिटेन), आठ जुलाई (द कन्वरसेशन) दुनियाभर में वर्ष 1970 के बाद से 73 फीसदी वन्यजीवों का अंत हो चुका है, जबकि विश्व की जनसंख्या दोगुना होकर आठ अरब हो गई है। शोध से पता चलता है कि यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि जैवविविधता में हो रही भीषण गिरावट का कारण जनसंख्या में हुई यह बढ़ोतरी है।

मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2050 तक 85 देशों में जनसंख्या कम हो जाएगी जिनमें से ज्यादातर देश यूरोप और एशिया में होंगे।

वर्ष 2100 तक वैश्विक स्तर पर जनसंख्या गिरावट की तरफ अग्रसर होगी। कुछ लोगों का कहना है कि यह पर्यावरण के लिए अच्छा होगा।

वर्ष 2010 में जापान जनसंख्या में कमी का सामना करने वाला पहला एशियाई देश बना था और अब दक्षिण कोरिया, चीन और ताइवान भी इसी की राह पर अग्रसर हैं।

वर्ष 2014 में जनसंख्या में कमी दर्ज करने वाला इटली दक्षिणी यूरोप का पहला देश था, इसके बाद स्पेन, पुर्तगाल और अन्य देश थे।

हम जापान और इटली को ‘जनसंख्या में कमी लाने वाले अग्रणी देश’ कहते हैं, क्योंकि वे अपने क्षेत्रों में इसके संभावित परिणामों को समझने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

यह मानते हुए कि जनसंख्या में कमी से पर्यावरण बहाली में मदद मिल सकती है, हम अपने सहकर्मियों यांग ली और ताकू फुजिता के साथ मिलकर यह पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं कि क्या जापान में वह अनुभव हो रहा है जिसे हमने जैव विविधता को ‘जनसंख्या में कमी का लाभांश’ करार दिया है या यह कुछ और है।

वर्ष 2003 से सैकड़ों नागरिक और वैज्ञानिक जापानी सरकार के निगरानी स्थलों से जुड़ी 1,000 परियोजना के लिए जैव विविधता डेटा एकत्र कर रहे हैं। हमने 158 स्थलों से 15 लाख दर्ज प्रजातियों के अवलोकन का उपयोग किया।

ये वनाच्छादित, कृषि और ‘पेरी-अर्बन’ (शहरों के बाहरी इलाकों में परिवर्तन से गुजर रहे स्थान) क्षेत्रों में थे। हमने इन अवलोकनों की तुलना पांच से 20 वर्षों की अवधि में स्थानीय आबादी, भूमि उपयोग और सतह के तापमान में हुए परिवर्तनों के साथ की।

जापान चेर्नोबिल नहीं है!

हमारे द्वारा अध्ययन किए गए अधिकांश क्षेत्रों में जैव विविधता में कमी जारी रही, चाहे जनसंख्या में वृद्धि हो या कमी। केवल जहां जनसंख्या स्थिर रहती है, वहां जैव विविधता अधिक स्थिर होती है।

हालांकि, इन क्षेत्रों की जनसंख्या की औसत उम्र बढ़ रही है और जल्द ही जनसंख्या घट जाएगी, जिससे ये उन क्षेत्रों की श्रेणी में आ जाएंगे जहां पहले से ही जैव विविधता में कमी देखी जा रही है।

चेर्नोबिल के विपरीत, जहा अचानक संकट के कारण लगभग पूरी तरह से लोगों को निकाला गया था जिससे वन्यजीवों के पुनरुत्थान के चौंकाने वाले विवरण सामने आए, जापान की जनसंख्या में कमी धीरे-धीरे आई है।

यहां, अब भी कार्यरत समुदायों के बीच भूमि उपयोग में परिवर्तन का एक विविध पैटर्न उभरता है।

जहां अधिकांश कृषि भूमि पर खेती की जाती है, वहीं कुछ अनुपयोगी या परित्यक्त भूमि भी होती है। कुछ भूमि को शहरी विकास के लिए बेच दिया जाता है या गहन कृषि भूमि में बदल दिया जाता है।

इन क्षेत्रों में मनुष्य पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता के वाहक हैं। पारंपरिक खेती और मौसमी आजीविका प्रथाएं, जैसे कि बाढ़, चावल के खेतों में रोपण और कटाई, बाग प्रबंधन, और संपत्ति का रखरखाव, जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इसलिए जनसंख्या में कमी प्रकृति के लिए विनाशकारी हो सकती है। कुछ प्रजातियां पनपती हैं, लेकिन ये अक्सर गैर-देशी प्रजातियां होती हैं जो अन्य चुनौतियां पेश करती हैं, जैसे कि पहले गीले चावल के खेतों को आक्रामक घासों द्वारा सुखाना। खाली और परित्यक्त इमारतें, कम इस्तेमाल किया जाने वाला बुनियादी ढांचा और सामाजिक-कानूनी मुद्दे (जैसे कि जटिल उत्तराधिकार कानून और भूमि कर, स्थानीय प्राधिकरण की प्रशासनिक क्षमता की कमी, और उच्च विध्वंस और निपटान लागत) सभी समस्या को बढ़ाते हैं।

यद्यपि अकीया (खाली, अनुपयोगी या परित्यक्त घर) की संख्या देश के कुल उपलब्ध आवास के लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, फिर भी नए आवासों का निर्माण बेझिझक जारी रहता है।

वर्ष 2024 में, 790,000 से अधिक घर बनाए गए जो आंशिक रूप से जापान के बदलते जनसंख्या वितरण और घरेलू संरचना के कारण हैं।

इनके साथ-साथ सड़कें, शॉपिंग मॉल, खेल सुविधाएं, कार पार्क और जापान के सर्वत्र उपलब्ध सुविधा स्टोर भी हैं।

कुल मिलाकर, कम लोगों के बावजूद वन्यजीवों के पास रहने के लिए कम जगह और कम अनुकूल स्थिति है।

क्या किया जा सकता है!

डेटा जापान और उत्तर-पूर्व एशिया में जनसंख्या में कमी की गहराती स्थिति को दर्शाता है। अधिकांश विकसित देशों में प्रजनन दर कम बनी हुई है। आव्रजन केवल अल्पकालिक कोमल आधार प्रदान करता है क्योंकि वर्तमान में वियतनाम जैसे प्रवासियों की बड़ी आबादी वाले देश भी जनसंख्या में कमी की राह पर अग्रसर हैं।

हमारा शोध दर्शाता है कि जैव विविधता की बहाली को सक्रिय रूप से प्रबंधित करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से जनसंख्या की कमी का सामना कर रहे क्षेत्रों में। इसके बावजूद जापान में पर्यावरण बहाली की केवल कुछ ही परियोजनाएं हैं। इन्हें विकसित करने में मदद करने के लिए, स्थानीय अधिकारियों को अप्रयुक्त भूमि को स्थानीय रूप से प्रबंधित सामुदायिक संरक्षण में बदलने की शक्तियां दी जा सकती हैं।

प्राकृतिक क्षय वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए एक प्रणालीगत जोखिम है। पारिस्थितिकी जोखिम (जैसे कि मछलियों की संख्या में गिरावट या वनों की कटाई) के चलते सरकारों और निगमों से बेहतर जवाबदेही की आवश्यकता है।

जैसे कि लगातार घटती आबादी के लिए और अधिक बुनियादी ढांचे पर खर्च करने के बजाय, जापानी कंपनियां कार्बन क्रेडिट के लिए स्थानीय प्राकृतिक वनों को बढ़ाने में निवेश कर सकती हैं। जनसंख्या में कमी 21वीं सदी के ‘वैश्विक मेगाट्रेंड’ के रूप में उभर रही है।

(द कन्वरसेशन) संतोष नरेश

नरेश

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