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Tuesday, July 8, 2025

अंटार्कटिका में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि, इसे बर्बाद होने से बचाना होगा

Newsअंटार्कटिका में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि, इसे बर्बाद होने से बचाना होगा

(डार्ला हैटन मैकडोनाल्ड, एलिजाबेथ लीन, यूनिवर्सिटी ऑफ तस्मानिया)

सिडनी, आठ जुलाई (द कन्वरसेशन) अंटार्कटिका जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। लगभग तीन दशक पहले हर साल 8,000 से भी कम पर्यटक अंटार्कटिका जाते थे लेकिन 2023-24 में लगभग 1,25,000 पर्यटक इस बर्फीले महाद्वीप पर गए। यह चलन लंबे समय तक जारी रहने की संभावना है।

अंटार्कटिका में अनियंत्रित पर्यटन वृद्धि से पर्यटकों को आकर्षित करने वाले इस महाद्वीप के पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा है। यह टूर ऑपरेटर और पर्यटकों के लिए बुरा होगा। यह अंटार्कटिका और पृथ्वी के लिए भी बुरा होगा।

पिछले दो हफ्तों में ऐसे देश इटली में एकत्र हुए, जो यह तय करते हैं कि अंटार्कटिका में कौन-सी मानव गतिविधियां की जा सकती हैं। इस बैठक में एक विशेष कार्य समूह की चर्चा भी हुई, जिसका उद्देश्य पर्यटन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है।

अंटार्कटिका जैसी जगह, जिस पर किसी एक देश का अधिकार नहीं है, पर पर्यटकों की गतिविधियों को नियंत्रित करना आसान नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि हम अंटार्कटिका को बर्बाद होने से कैसे बचाएं? इसका उत्तर शायद अर्थशास्त्र में छिपा है।

भविष्य में पर्यटकों की प्रवृत्ति :

हमने हाल ही में अंटार्कटिका में भविष्य के पर्यटक रुझानों का मॉडल तैयार किया है। एक अनुमान के अनुसार, 2033-34 तक पर्यटकों की संख्या लगभग 2.85 लाख तक पहुंच सकती है। कम से कम तो यह संख्या 4.5 लाख तक जा सकती है।

अंटार्कटिक पर्यटन का अधिकांश हिस्सा क्रूज़ पर्यटन से जुड़ा है, विशेष रूप से अंटार्कटिक प्रायद्वीप क्षेत्र में। कुछ ही प्रतिशत पर्यटक रॉस सागर क्षेत्र और महाद्वीप के आंतरिक हिस्सों में जाते हैं।

अंटार्कटिका में पर्यटन एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत नियंत्रित होता है, जिसे ‘अंटार्कटिक संधि व्यवस्था’ कहा जाता है। साथ ही एक निजी संगठन ‘इंटरनेशन एसोसिएशन ऑफ अंटार्कटिक टूर ऑपरेटर्स’ (आईएएटीओ) भी संचालन में शामिल है।

लेकिन यह संधि व्यवस्था अक्सर धीमी प्रक्रिया और भूराजनीति से प्रभावित होती है और आईएएटीओ के पास यह अधिकार नहीं है कि वह पर्यटकों की संख्या पर कोई सीमा तय कर सके।

एक नाजुक महाद्वीप पर दबाव :

लगभग दो-तिहाई अंटार्कटिक पर्यटक वास्तव में महाद्वीप पर आते हैं। यह पर्यटक गतिविधियां वहां की नाज़ुक पारिस्थितिकी के लिए कई तरह के खतरे पैदा करती हैं, जैसे:

मिट्टी का सख्त हो जाना। लगातार चलने और भारी जूतों से मिट्टी दबती है, जिससे सूक्ष्मजीवों का आवास प्रभावित होता है।

कोमल वनस्पतियों को रौंदना : वहां की वनस्पतियां बेहद धीमी गति से बढ़ती हैं। पर्यटकों के चलने से यह पूरी तरह नष्ट हो सकती हैं।

बाहरी सूक्ष्मजीव और पौधों की प्रजातियां लाना : कपड़ों, जूतों या उपकरणों के जरिए नए कीटाणु और बीज वहां पहुँच सकते हैं, जिससे जैव विविधता पर असर पड़ता है।

पक्षियों और सील की प्रजनन कॉलोनियों में बाधा डालना : तेज आवाज, कैमरों की चमक या अधिक नजदीक जाना, इन जीवों के प्रजनन चक्र को बाधित कर सकता है।

क्रूज जहाजों से वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण हो सकता है। फिर इनसे कार्बन उत्सर्जन भी हो सकता है।

कार्बन उत्सर्जन से उत्पन्न वैश्विक तापवृद्धि अंटार्कटिका को नुकसान पहुंचा रही है। विशेषकर अंटार्कटिक प्रायद्वीप में यह असर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। हिमनद और बर्फ की चट्टानें पिघल रही हैं, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।

क्या अर्थशास्त्र अंटार्कटिका की रक्षा कर सकता है?

बाजार आधारित उपकरण – जैसे कर, व्यापार योजनाएं और प्रमाणन, का उपयोग दुनिया भर में पर्यावरण प्रबंधन में किया गया है। अनुसंधान से पता चलता है कि ये उपकरण अंटार्कटिका में पर्यटकों की संख्या को नियंत्रण से बाहर होने से रोकने में भी सहायक हो सकते हैं।

अंटार्कटिका शासन की जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए, हमारे शोध में पाया गया है कि सबसे व्यावहारिक समाधान बाजार-आधारित उपायों के साथ अन्य नियामक उपायों को भी शामिल करना है।

द कन्वरसेशन गोला माधव

माधव

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