ठाणे, आठ जुलाई (भाषा) मराठी नहीं बोलने के कारण एक दुकानदार पर हमले के बाद बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी के बीच ठाणे जिले के मीरा भयंदर इलाके में मराठी ‘अस्मिता’ की रक्षा के लिए मंगलवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए।
सड़कों पर हुए भारी नाटक और पुलिस द्वारा कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के बीच शिवसेना (उबाठा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता एवं कार्यकर्ता भी प्रदर्शन में शामिल हुए।
दोपहर बाद प्रदर्शन स्थल का दौरा करने वाले शिवसेना मंत्री प्रताप सरनाईक को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया और वहां से जाने को कहा।
पुलिस ने कानून व्यवस्था के लिए संभावित खतरे का हवाला देते हुए प्रदर्शन मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सड़कों पर हुए भारी ड्रामा और राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद मार्च आयोजकों द्वारा प्रस्तावित मूल मार्ग से ही गुजरा।
अधिकारियों ने बताया कि मराठी एकीकरण समिति के तत्वावधान में मनसे और अन्य मराठी समर्थक संगठनों ने रैली का आयोजन किया था।
अधिकारियों ने बताया कि हाल में मराठी नहीं बोलने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने एक ‘फूड स्टॉल’ मालिक के साथ मारपीट की थी। उसके विरोध में व्यापारियों द्वारा आयोजित प्रदर्शन के जवाब में यह रैली आयोजित की गई।
स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने ‘मराठी अस्मिता’ की रक्षा के नारे लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। उनमें से कुछ को पुलिस ने उस समय हिरासत में लिया जब वे मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे।
मध्यरात्रि से मनसे के कई पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया।
महिलाओं को पुलिस की वैन में ले जाने की तस्वीरें टेलीविजन चैनलों पर दिखाई गईं, जब वे पुलिस ‘‘अत्याचार’’ के खिलाफ नारे लगा रही थीं। कई कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए एक ‘बैंक्वेट हॉल’ के अंदर हिरासत में रखा गया।
सड़कों पर जबरदस्त नाटकीय दृश्य दिखने के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संभावित राजनीतिक नुकसान को रोकने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि रैली के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन मनसे ने एक खास मार्ग पर जोर दिया जिससे कानून व्यवस्था की चुनौतियां पैदा हो गईं।
उन्होंने मुंबई में पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर वे उचित मार्ग के लिए अनुमति मांगते, तो हम आज और कल की भी अनुमति देंगे। एक अन्य संगठन ने पुलिस द्वारा स्वीकृत मार्ग से रैली निकाली, लेकिन ये लोग एक खास मार्ग पर अड़े रहे।’’
मराठी मुद्दे को लेकर बढ़ते समर्थन के कारण शिवसेना के मंत्री प्रताप सरनाईक ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘‘अनावश्यक कार्रवाई’’ है, जो किसी भी सरकारी निर्देश के अनुरूप नहीं है।
सरनाईक ने ठाणे में पत्रकारों से कहा, ‘‘पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। सरकार ने मराठी हितों के समर्थन में शांतिपूर्ण मोर्चा को दबाने के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस का इस तरह का रवैया अनुचित है और अगर मराठी भाषी लोगों ने शांतिपूर्ण मोर्चा के लिए अनुमति मांगी थी तो पुलिस को उन्हें अनुमति देनी चाहिए थी।’’
सरनाईक बाद में दोपहर में मार्च में शामिल हुए।
मीरा रोड और उससे सटे भयंदर में हजारों लोग हाथों में तख्तियां, झंडे और ‘‘मी मराठी’’ नारे लिखी सफेद टोपी पहनकर जोश के साथ सड़कों पर उतरे।
मराठी मुद्दे से एकजुट हुई शिवसेना (उबाठा) और मनसे की कई महिलाएं, कार्यकर्ता साथ-साथ चले।
इस मौके पर मौजूद कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर अपना गुस्सा जाहिर किया और आरोप लगाया कि उसने कुछ दिन पहले इसी इलाके में व्यापारियों को रैली निकालने की अनुमति दी जबकि मराठी लोगों को अनुमति नहीं दी।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में आम लोग मराठी लोगों के प्रति उनकी नफरत के लिए उन्हें (भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को) सबक सिखाएंगे।’’
हिजाब पहनी सना देशमुख ने कहा कि मराठी लोग सरकार को उनकी आवाज दबाने नहीं देंगे।
लोगों ने बालाजी स्क्वायर से मीरा रोड रेलवे स्टेशन के सामने मेजर कौस्तुभ राणे स्मारक तक मुख्य सड़कों से होते हुए शांतिपूर्वक मार्च किया।
महाराष्ट्र के प्राथमिक विद्यालयों में भाषा ‘‘थोपने’’ का मुद्दा नगर निगम चुनाव से पहले एक प्रमुख राजनीतिक विवाद बन गया है। वहीं, मनसे कार्यकर्ताओं ने मराठी नहीं बोलने पर भयंदर इलाके में एक ‘फूड स्टॉल’ मालिक को थप्पड़ जड़ दिया था।
मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई के निवेशक सुशील केडिया के वर्ली स्थित कार्यालय के कांच के दरवाजे को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, क्योंकि उन्होंने मराठी नहीं बोलने का संकल्प लिया था और राज ठाकरे को चुनौती दी थी।
‘भाषा’ मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया जब भाजपा के पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने ठाकरे के चचेरे भाई को भोजपुरी बोलने के लिए मुंबई से बाहर निकालने की चुनौती दी।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को ठाकरे बंधुओं पर निशाना साधते हुए ‘‘पटक, पटक के मारेंगे’’ वाली टिप्पणी करके खलबली मचा दी।
भाषा विवाद और प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दो जीआर (सरकारी प्रस्ताव) को रद्द करने के कारण शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई एवं मनसे प्रमुख राज ठाकरे 20 साल बाद पिछले सप्ताह एक साथ आए।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) (जोन एक) प्रकाश गायकवाड़ ने कहा कि मीरा भयंदर वसई विरार पुलिस ने मनसे नेता अविनाश जाधव और सैकड़ों कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है, जिन्हें पहले हिरासत में लिया गया था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने पहले भी मार्च की अनुमति नहीं दी थी और अब भी इसकी इजाजत नहीं दी है।’’
घटनास्थल पहुंचने पर भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने सरनाईक पर मराठी मानुष के हितों के खिलाफ बोलने का आरोप लगाया।
सरनाईक ने यह समझाने की कोशिश की कि वह हमेशा मराठी लोगों के साथ खड़े रहेंगे, लेकिन उन्हें ‘‘गद्दार’’ के नारे लगाकर चुप करा दिया गया।
राकांपा (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड भी इस विवाद में कूद पड़े और रैली के लिए कथित तौर पर अनुमति देने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन है। इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।’’
भाषा सुरभि अविनाश
अविनाश