मुंबई, आठ जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर विपक्षी दलों ने मंगलवार को यहां विधान भवन परिसर की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया।
कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि यह पद रिक्त रहना विधायी परंपराओं और लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है। विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद नवंबर 2024 में चुनाव होने के बाद से खाली पड़ा है।
यह विरोध प्रदर्शन भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के विधानमंडल परिसर के दौरे के समय हुआ।
वडेट्टीवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश यहां पहुंच रहे थे, तो महा विकास आघाडी (एमवीए) के नेताओं ने विधानसभा की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया और विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त नहीं करने के लिए सरकार की निंदा की।’
उन्होंने कहा कि एमवीए नेताओं ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया और विपक्ष के नेता के मुद्दे पर नारे लगाए।
कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम ने इस रिक्ति को लोकतांत्रिक मूल्यों का ‘घोर अपमान’ करार दिया।
विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘यह विधानसभा अध्यक्ष और विपक्षी दलों के बीच का मामला है। सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’
सत्तारूढ़ महायुति ने पिछले वर्ष राज्य विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत हासिल की थी। इसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजीत पवार की राकांपा शामिल है।
विधानसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) सहित विपक्षी दलों के विधायकों की संयुक्त संख्या लगभग 50 है, जिससे सवाल उठता है कि क्या अध्यक्ष किसी ऐसी पार्टी के विधायक को विपक्ष का नेता नियुक्त कर सकते हैं, जिसने कुल सीटों (288) के 10 प्रतिशत से भी कम सीटें जीती हों।
शिवसेना (उबाठा) ने पार्टी नेता भास्कर जाधव के नाम की सिफारिश विपक्ष के नेता पद के लिए की थी, लेकिन अध्यक्ष ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है।
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नोमान मनीषा
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