हैदराबाद, आठ जुलाई (भाषा) ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी में 50 लाख रुपये और अपने दोस्त को खो देने वाले एक एमबीए डिग्री धारक व्यक्ति ने एक परिष्कृत ऑनलाइन सट्टेबाजी गिरोह का भंडाफोड़ करने में पुलिस की मदद की।
सत्ताईस वर्षीय युवक ‘गारंटिड टॉस फिक्स’ के कारण ठगी का शिकार हुआ, जिससे उन्हें दिसंबर 2023 से 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। उनके दोस्त ने इसी योजना में लगभग 60 लाख रुपये गंवाने के बाद दिसंबर 2024 में आत्महत्या कर ली। इसका प्रचार सोशल मीडिया पर ‘इंफ्लुएंसर’ व्यक्तियों ने किया था।
भारी नुकसान के बाद, पीड़ित ने धोखेबाजों को बेनकाब करने का फैसला किया। उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इस साल जून में साइबराबाद पुलिस कमिश्नरेट ने मामले दर्ज किए और पांच ऑनलाइन ‘इंफ्लुएंसर’ को गिरफ्तार कर लिया, जिससे ‘इंफ्लुएंसर’, अनधिकृत सट्टेबाजी वेबसाइट और ‘म्यूल’ खातों के ज़रिये संचालित एक परिष्कृत ऑनलाइन सट्टेबाजी गिरोह को प्रभावी ढंग से ध्वस्त किया जा सका।
‘म्यूल’ खाते अवैध पैसों को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
इस नेटवर्क ने युवाओं को मैच फिक्सिंग की झूठी टिप का झांसा देकर योजनाबद्ध तरीके से ठगा और सोशल मीडिया पर आक्रामक प्रचार करके उन्हें अवैध जुए के मंचों की ओर आकर्षित किया
व्यक्ति ने मंगलवार को कहा कि यह घटना दिसंबर 2023 में शुरू हुई जब वह अपनी मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर आए एक विज्ञापन पर क्लिक किया, जिससे एक ‘इंफ्लुएंसर’ का चैनल खुल गया। उन्होंने कहा कि चैनल के एडमिन ने क्रिकेट सट्टेबाजी के बारे में टिप दिए।‘ इंफ्लुएंसर’ ने ‘गारंटीकृत भविष्यवाणियां’ की पेशकश की और उन्हें उन सट्टेबाजी वेबसाइटों पर दांव लगाने का निर्देश दिया, जिनका वे प्रचार कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने टिप का पालन किया और कभी-कभी वे सही भी होते थे। मैं सट्टेबाजी में शामिल हो गया और अपनी अंशकालिक नौकरी के वेतन और दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों से उधार लेकर दांव लगाता था। लेकिन, जब आप पैसे हारना शुरू करते हैं, तो वे आपको हारते जाने पर मजबूर कर देते हैं। अगर आप पैसे नहीं हारेंगे, तो वे पैसे नहीं कमाएंगे। ‘इंफ्लुएंसर’ सट्टेबाजी की वेबसाइटों को बढ़ावा दे रहे हैं और अपने सोशल मीडिया चैनल के फ़ॉलोअर के आधार पर निश्चित भुगतान कमा रहे हैं। वे ग्रुप में झूठी प्रचार सामग्री पोस्ट करके और नकली फ़ॉलोअर के ज़रिये पीड़ितों को ठगते हैं।’’
उन्होंने बताया कि उन्होंने 50 लाख रुपये से ज़्यादा की रकम खो दी, जबकि भोपाल के उनके दोस्त ने सट्टे में 60 लाख रुपये गंवा दिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय दबाव को झेलने में असमर्थ उनके दोस्त ने दिसंबर 2024 में आत्महत्या कर ली।
एमबीए स्नातक ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इसके बाद उन्होंने धोखेबाजों से निपटने का फैसला किया और एक सट्टेबाजी वेबसाइट के प्रतिनिधि के रूप में इन ‘इंफ्लुएंसर’ लोगों से संपर्क किया।
उन्होंने कहा, ‘मैं उनके चैनल से जुड़ गया और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी। मैंने ‘इंफ्लुएंसर’ लोगों की व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की और पुलिस से संपर्क किया।’
पुलिस के अनुसार, शख्स ने धोखेबाजों का विवरण साझा किया। एक अधिकारी ने कहा, ‘वह व्यक्ति हमें आरोपियों के बारे में जानकारी देने में काफी सक्रिय था। इतना ही नहीं, उन्होंने आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की मदद की।’
भाषा नोमान सुरेश
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