बेंगलुरु, आठ जुलाई (भाषा) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर राज्य में तुअर दाल किसानों को “कुचलने” और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा आयात नीतियों के जरिए “बाजारों को ध्वस्त करने” का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इससे राज्य को 1,550 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार म्यांमा, तंजानिया, मोजाम्बिक, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और कनाडा जैसे देशों के किसानों को बढ़ावा दे रही है, जबकि कर्नाटक और शेष भारत के किसानों को “उचित मूल्य से वंचित” कर रही है।
सुरजेवाला ने संवाददाताओं को बताया कि कर्नाटक और महाराष्ट्र मिलकर भारत के कुल तुअर दाल फसल के 50 प्रतिशत का उत्पादन करते हैं और कर्नाटक की कलबुर्गी तुअर दाल को 14 अगस्त, 2019 से भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त है।
उन्होंने दावा किया, “कर्नाटक के किसानों और उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उपज के प्रति भाजपा का सौतेला व्यवहार घोर अन्याय है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के कृषक समुदाय को प्रतिवर्ष 1,550 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।”
अरहर दाल का 2024-25 में एमएसपी 7,550 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे 2025-26 के लिए संशोधित कर 8,000 रुपये कर दिया गया। सुरजेवाला ने हालांकि कहा कि कर्नाटक में किसानों को पिछले साल अपनी उपज 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा, जबकि राज्य में 10 लाख क्विंटल उत्पादन हुआ था। उन्होंने कहा कि इस कमी के कारण किसानों को 1,550 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी 2025-26 की रिपोर्ट में कर्नाटक सरकार के इस कथन को स्वीकार किया है कि उत्पादन की वास्तविक लागत 11,032 रुपये प्रति क्विंटल है और उसने 16,548 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी मांगा है।
उन्होंने कहा कि इसके बजाय केंद्र ने एमएसपी 8,000 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया और मोदी सरकार पर कर्नाटक के किसानों को “धोखा” देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यहां तक कि यह राशि भी बमुश्किल दी जा रही है।”
इसके अलावा, सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार वास्तव में उन दरों पर उपज खरीदे बिना ही एमएसपी की घोषणा कर देती है।
भाषा
प्रशांत पवनेश
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