नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने पाकिस्तान और इजराइल द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की पैरवी किए जाने पर मंगलवार को इस बात का उल्लेख किया कि 20वीं शताब्दी में महात्मा गांधी एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और फिर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप को नोबेल दिए जानी की पैरवी की है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नोबेल पुरस्कार नामांकन संबंधी जानकारी आमतौर पर 50 वर्षों के बाद ही सार्वजनिक की जाती है। उदाहरण के लिए, 2025 में पुरस्कारों के लिए नामांकित सभी लोगों की पूरी जानकारी उनके नामांकनकर्ताओं के साथ- केवल 2075 में सार्वजनिक की जाएगी, लेकिन नामांकनकर्ता किसी भी समय अपनी पसंद सार्वजनिक करने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि पाकिस्तान और इज़राइल के प्रधानमंत्रियों ने गर्व से घोषणा की है कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘एक अलग युग में दो प्रमुख भारतीय हस्तियों को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। महात्मा गांधी को 1937 से 1948 के बीच नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 12 बार नामांकित किया गया था। इनमें से नौ नामांकन उन लोगों से आए थे जो भारतीय नहीं थे।’
रमेश ने कहा, ‘‘जवाहरलाल नेहरू को 1950 से 1961 के बीच 13 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। इनमें से 10 नामांकन भारत से नहीं, बल्कि दूसरे लोगों और संस्थानों से थे।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘पिछली शताब्दी में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुछ विचित्र विकल्प सामने आए हैं, जबकि कुछ चूकें स्पष्ट रही हैं। उदाहरण के लिए, 1973 में डॉ. किसिंजर की पसंद बेहद विवादास्पद थी।’
भाषा हक अमित सुरेश
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