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Wednesday, July 9, 2025

सरसों की फसल से बढ़ेगा घरेलू खाद्य तेल उत्पादन, आयात निर्भरता घटेगी

Fast Newsसरसों की फसल से बढ़ेगा घरेलू खाद्य तेल उत्पादन, आयात निर्भरता घटेगी

नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) रबी मौसम में उगाई जाने वाली देशी तिलहन सरसों की फसल खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए रकबा बढ़ाने, उच्च उपज देने वाली बीज किस्मों के उपयोग और उपज एवं उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सुनिश्चित मूल्य प्रदान करने की आवश्यकता है। उद्योग विशेषज्ञों ने यह बात कही।

नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का ‘रेपसीड’ एवं सरसों का उत्पादन 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 86.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल और 1,461 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर औसत उपज के साथ 126.06 लाख टन रहा। वित्त वर्ष 2023-24 से क्षेत्रफल एवं उत्पादन में गिरावट आई है। 2023-24 में रकबा 91.83 लाख हेक्टेयर था जबकि उत्पादन 132.59 लाख टन था।

पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी ने कहा, ‘‘ सरसों तेल खाद्य तेल की मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने और आयात निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हमारी कंपनी के दृष्टिकोण का अभिन्न अंग है।’’

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सरसों की खेती के विस्तार के साथ-साथ प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि करके सरसों तेल का उत्पादन बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है।

धारा ब्रांड के तहत खाद्य तेल बेचने वाली मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने कहा, ‘‘ गैर-परिष्कृत खाद्य तेल खंड में सरसों का तेल एक महत्वपूर्ण श्रेणी बना हुआ है। इस खंड में इसकी करीब 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। चूंकि उपभोक्ता अपने विविध लाभों और अधिक जागरूकता के लिए तेजी से स्वदेशी तेलों की ओर रुख कर रहे हैं, इसलिए सरसों के तेल की खपत में लगातार वृद्धि होने की संभावना है जिसकी अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर चार प्रतिशत से अधिक है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इन प्रयासों से न केवल घरेलू उत्पादन मजबूत होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा भी बढ़ेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी जिससे समग्र आर्थिक लचीलेपन को बल मिलेगा।’’

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, भारत ने 2023-24 विपणन वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में 1.6 करोड़ टन वनस्पति तेलों का आयात किया, जबकि घरेलू उत्पादन 1.162 करोड़ टन रहा।

एसईए के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में सरसों तेल/रेपसीड तेल की खपत करीब 38 लाख टन रही, जो भारत की कुल मांग का लगभग 15 प्रतिशत है।

अन्य उद्योग संगठन भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने कहा कि पिछले छह वर्ष में सरसों की फसल में करीब 40-45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सरसों तेल का घरेलू उत्पादन लगभग 35 लाख टन रहा।

संघ ने कहा, ‘‘ सरसों एक बेहतरीन तिलहन है और इस फसल की पूर्ति आयात से नहीं की जा सकती।’’

पुरी ऑयल मिल्स के विवेक पुरी ने नीति आयोग की ‘खाद्य तेल में वृद्धि को गति देने के मार्ग व रणनीति’ शीर्षक वाली रिपोर्ट का हवाला भी दिया जिसमें सरसों के तेल को उत्तर भारत में सबसे अधिक खपत वाला खाद्य तेल बताया गया है। इसकी इस क्षेत्र में 61 प्रतिशत और राष्ट्रीय स्तर पर 45 प्रतिशत खपत है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में भारत के खाद्य तेल परिवेश में सरसों के तेल की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया गया है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

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