मुंबई, नौ जुलाई (भाषा) अमेरिका में नीतिगत अनिश्चितता और वीजा नियमों में सख्ती के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए शिक्षा ऋण की वृद्धि घटकर आधी रह जाएगी। क्रिसिल रेटिंग्स ने बुधवार को यह आशंका जताई।
क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि शिक्षा ऋण की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में नरम पड़कर 25 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। पिछले दो वित्त वर्षों में इस खंड की वृद्धि दर लगभग 50 प्रतिशत रही है।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा कि अमेरिका में वीजा आवंटन में कमी और वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण मानदंडों को समाप्त करने के प्रस्ताव जैसे कारकों ने नए ऋण स्रोतों को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से पिछले वित्त वर्ष में अमेरिकी क्षेत्र में कुल ऋण वितरण में 30 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
दूसरे सबसे बड़े बाजार कनाडा से जुड़े ऋण वितरण में भी गिरावट देखी गई है। छात्रों को वीजा देने के सख्त नियमों के तहत वित्तीय प्रावधानों में वृद्धि और परमिट सीमाएं लागू की गई हैं। इन कारणों से पिछले वित्त वर्ष में कुल शिक्षा ऋण वितरण केवल आठ प्रतिशत बढ़ा, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 50 प्रतिशत से काफी कम है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन चुनौतियों को देखते हुए एनबीएफसी ने अपनी रणनीति बदली है और ब्रिटेन, जर्मनी, आयरलैंड जैसे वैकल्पिक गंतव्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इन देशों की हिस्सेदारी कुल ऋण वितरण में बढ़कर 2024-25 में लगभग 50 प्रतिशत हो गई जो एक साल पहले 25 प्रतिशत थी।
इन परिस्थितियों में कुल शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो में अमेरिका की हिस्सेदारी मार्च, 2024 के 53 प्रतिशत से घटकर मार्च, 2025 तक 50 प्रतिशत रह गई। आगे चलकर इसमें और भी गिरावट आने का अनुमान है।
क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि घरेलू गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अब घरेलू छात्र ऋणों और स्कूल फंडिंग, कौशल विकास और कोचिंग के लिए कर्ज जैसे क्षेत्रों पर भी विचार कर रही हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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