ठाणे, 10 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे में एक विशेष अदालत ने 2019 में सात साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करने और यौन हमला करने के आरोपी व्यक्ति को मामले में दोषी करार दिया। हालांकि, अदालत ने सबूतों के अभाव में व्यक्ति को बलात्कार एवं अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों से बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश डी. एस. देशमुख ने चार जुलाई को पारित आदेश में दोषी संतोष काशीनाथ शिंदे को 2019 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बिताए गए समय के बराबर सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि घटना 28 अगस्त, 2019 को हुई थी, जिसके बाद पीड़िता की मां ने ठाणे के चितलसर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि शिंदे ने उसकी बेटी को अपने घर में बहला-फुसलाकर बुलाया और यौन उत्पीड़न किया। जब वह (मां) काम पर गई हुई थी तब शिंदे ने इस घटना को अंजाम दिया।
विशेष सरकारी वकील रेखा हिवराले ने कहा कि पीड़िता ने बाद में अपनी मां को बताया कि शिंदे उसे चॉकलेट का लालच देकर अपने घर में घसीटते हुए ले गया था। इसके बाद, उसने पीड़िता के कपड़े उतार दिए और अश्लील हरकतें कीं।
अभियोजन पक्ष ने पीड़िता और उसकी मां सहित चार गवाह पेश किए।
अदालत ने कहा कि पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की। हालांकि, अदालत ने चिकित्सीय साक्ष्यों पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि लड़की के जननांगों पर कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई।
अदालत ने कहा, ‘‘चिकित्सीय साक्ष्यों में पीड़िता के यौन हमले की बात से इनकार किया गया है। इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (एबी) (बलात्कार) और 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत आरोप नहीं बनते।’’
हालांकि, अदालत को आरोपी द्वारा लड़की के उत्पीड़न और यौन हमला के आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत मिले।
शिंदे को यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा सात और आठ (यौन हमला) और धारा 11 और 12 (यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया गया। उसे पांच साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई गई और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
अदालत ने पीड़िता को ठाणे स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मुआवजा दिलाने की भी सिफारिश की।
भाषा सुरभि नरेश
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