नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) अमेरिका में एक रोबोट मानव ऊतकों से बने पित्ताशय पर अकेले दम पर 100 फीसदी सटीकता के साथ सर्जरी करने में कामयाब रहा। शोधकर्ताओं ने इस घटनाक्रम को कृत्रिम मेधा (एआई) पर आधारित रोबोट को अस्पतालों में तैनात करने की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया है।
‘साइंस रोबोटिक्स’ पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक, जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘सर्जिकल रोबोट ट्रांसफॉर्मर-हेरारकी’ (एसआरटी-एच) नाम के रोबोट को मृत सूअरों का ऑपरेशन करने वाले सर्जन के वीडियो दिखाकर सर्जरी का प्रशिक्षण दिया।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘एसआरटी-एच’ उन एआई एल्गॉरिद्म से संचालित होता है, जिन पर ‘चैट जीपीटी’ जैसे सॉफ्टवेयर काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इस रोबोट ने ऑपरेशन थिएटर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के साथ काम करने वाले नौसिखिए सर्जन की तरह ही न सिर्फ बारीकी से सर्जरी की कला सीखी, बल्कि निर्देशों पर सटीक प्रतिक्रिया भी दी।
मुख्य शोधकर्ता और जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के मेडिकल रोबोटिस्ट एक्सल क्राइगर ने कहा, “यह प्रगति हमें विशिष्ट शल्य चिकित्सा कार्य करने में सक्षम रोबोट से ऐसे रोबोट की ओर ले जाती है, जो वास्तव में सर्जरी से जुड़ी प्रक्रियाओं को समझते हैं।”
उन्होंने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमें चिकित्सकीय रूप से व्यवहार्य स्वायत्त सर्जरी प्रणालियों के काफी करीब ले जाती है, जिनमें मरीजों की वास्तविक देखभाल की जटिल एवं अप्रत्याशित परिस्थितियों में काम करने की क्षमता है।”
शोधकर्ताओं के अनुसार, इससे पहले रोबोट ने एक सूअर की ‘लेप्रोस्कोपिक सर्जरी’ सफलतापूर्वक पूरी की थी। यह एक रोबोट की ओर से अकेले दम पर किसी जीवित पशु की सर्जरी किए जाने की पहली घटना थी।
हालांकि, इस दौरान चिकित्सकों को उन ऊतकों को चिह्नित करना पड़ा था, जिन्हें सर्जरी के दौरान हटाए जाने की जरूरत थी। इसके अलावा, रोबोट ने अत्यधिक नियंत्रित वातावरण में काम करते हुए पहले से निर्धारित सर्जरी योजना का पालन किया था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘एसआरटी-एच’ के मामले में ऐसा नहीं था। उन्होंने बताया कि यह रोबोट वास्तविक समय में अकेले दम पर सर्जरी की प्रक्रियाओं को अंजाम देने, त्वरित फैसले लेने और अप्रत्याशित स्थिति में गलतियों की पहचान कर उन्हें दूर करने व उचित कदम उठाने में सक्षम मिला, वो भी सौ फीसदी सटीकता के साथ।
भाषा
पारुल पवनेश
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