26.7 C
Jaipur
Friday, July 11, 2025

नेपाल में अचानक आयी बाढ़ के बाद फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव कार्य जारी

Newsनेपाल में अचानक आयी बाढ़ के बाद फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव कार्य जारी

काठमांडू, 10 जुलाई (भाषा) नेपाल में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए बृहस्पतिवार को बचाव कार्य जारी है। मीडिया में आयी खबरों में यह जानकारी दी गयी है।

नेपाल के रसुवा जिले में मानसून की बारिश के कारण एक नदी में बाढ़ आ जाने से कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई तथा करीब 20 अन्य लापता हो गए।

‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने रसुवा के मुख्य जिला अधिकारी अर्जुन पौडेल के हवाले से कहा, ‘‘हम पूरी तरह से तैनात हैं। हमने 127 विदेशी नागरिकों सहित 150 से अधिक लोगों को बचाया और उन्हें हवाई मार्ग से काठमांडू पहुंचाया।’’

पौडेल ने कहा कि इलाके में बिजली और टेलीफोन सेवाएं बाधित होने से बचाव और अन्य अभियान बाधित हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम फिलहाल चीन की सीमा के माध्यम से सीमित संचार बनाए हुए हैं। टेलीफोन संपर्क बहाल करने और बिजली आपूर्ति फिर से शुरू करने के प्रयास जारी हैं।’’

नेपाल पुलिस ने बताया कि मंगलवार सुबह आई बाढ़ के बाद लापता हुए 19 लोगों की तलाश जारी है। लापता लोगों में छह चीन के नागरिक और दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

काठमांडू से 120 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित रसुवा जिले के कुछ हिस्सों में आई अचानक बाढ़ के कारण ‘फ्रेंडशिप ब्रिज’ भी बह गया जो देश को चीन से जोड़ता है।

अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ में रसुवागढ़ी जलविद्युत संयंत्र और नेपाल-चीन सीमा के पास स्थित ‘ड्राई पोर्ट’ के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

‘हिमालयन टाइम्स’ अखबार की खबर के अनुसार, अचानक आई बाढ़ में मारे गए नौ लोगों में से आठ के शवों को महाराजगंज में त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षण अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए काठमांडू लाया गया।

खबर के अनुसार, पीड़ितों में से एक की पहचान कर ली गई है और शव उसके परिवार को सौंप दिया गया है।

नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (डीएचएम) ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह बाढ़ संभवतः ग्लेशियर के ऊपर बनी एक झील का तटबंध टूटने के कारण आई है। यह झील नेपाल-चीन सीमा से लगभग 36 किलोमीटर उत्तर में, चीन की ओर लगभग 5,150 मीटर की ऊंचाई पर रसुवागढ़ी में स्थित है।

विभाग के अनुसार, ‘‘घटना से पहले, झील का क्षेत्रफल लगभग 0.74 वर्ग किलोमीटर था। बाढ़ के बाद इसका क्षेत्रफल घटकर लगभग 0.60 वर्ग किलोमीटर रह गया।’’

उसने कहा, ‘‘आकार में यह बदलाव पानी की बड़ी मात्रा के निकलने का संकेत देता है, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि ल्हेंडे स्ट्रीम में आई बाढ़ का कारण झील का तटबंध टूटने की घटना थी।’’

खबर में कहा गया कि बाढ़ से पहले सीमा के दोनों ओर अत्यधिक बारिश नहीं हुई थी।

बाढ़ विशेषज्ञ बिनोद पराजुली ने विभाग की ओर से बताया कि चीन से और जानकारी मिलने की उम्मीद है तथा उपग्रह की तस्वीरें मिलने से इस घटना के विवरण को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी।

‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में सुझाव दिया कि बाढ़ का कारण ग्लेशियल झील के फटने की घटना थी।

भाषा गोला खारी

खारी

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles