ठाणे, 10 जुलाई (भाषा) मासिक धर्म हो रहा है या नहीं इसका पता लगाने के लिए ठाणे स्थित एक निजी स्कूल की छात्राओं के कपड़े उतरवाए जाने के आरोप में पुलिस ने प्रधानाचार्य और एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र में ठाणे जिले के शाहपुर इलाके में स्थित स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे देखे जाने के बाद यह पता लगाने के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है या नहीं।
इस घटना से छात्राओं के अभिभावकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने बुधवार को स्कूल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया तथा इस घटना में शामिल प्रबंधन एवं शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
ठाणे जिला परिषद के जिला शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं, जिसका नेतृत्व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी करेंगे।
रक्षे ने कहा कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, जिसके आधार पर जिला प्रशासन मामले में आगे की कार्रवाई करेगा।
अधिकारी ने बताया कि इस घटना के बाद स्कूल प्रधानाचार्य को बर्खास्त कर दिया गया गया।
शाहपुर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने बुधवार रात स्कूल की प्रधानाचार्य और एक परिचारिका को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाकर जांच की कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है या नहीं।
स्कूल की एक छात्रा के अभिभावक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार पांचवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की छात्राओं को स्कूल के सभागार में बुलाया गया और उन्हें प्रोजेक्टर के माध्यम से शौचालय और फर्श पर लगे खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाई गईं तथा पूछा गया कि क्या उनमें से किसी छात्रा को मासिक धर्म हो रहा है।
शिकायत के अनुसार, इसके बाद इन लड़कियों को दो समूहों में बांटा गया। जिन लड़कियों ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है, उनसे शिक्षिकाओं को अपने अंगूठे का निशान देने को कहा गया लेकिन जिन छात्राओं ने कहा कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हो रहा है, उन्हें एक परिचारिका एक-एक करके शौचालय ले गयी और उनकी जांच की।
पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर स्कूल के प्रधानाचार्य, चार शिक्षकों, परिचारिका और दो न्यासियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ठाणे ग्रामीण) राहुल जाल्टे ने बुधवार को बताया कि जब अभिभावकों को छात्राओं की इस प्रकार जांच किए जाने के बारे में पता चला, तो वे स्कूल में इकट्ठा हो गए और उन्होंने संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई और गुस्साए अभिभावकों ने कार्रवाई की मांग की।’’
अधिकारी ने बताया कि पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है।
उन्होंने बताया कि आठ लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 76 (महिला के कपड़े उतरवाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अभिभावकों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसके कारण स्कूल को दिन भर के लिए बंद कर दिया गया।
इस घटना से जिले और अन्य स्थानों पर फैले व्यापक आक्रोश को देखते हुए कुछ वकीलों ने कहा कि उनके सहकर्मी गिरफ्तार दोनों आरोपियों की ओर से पैरवी करने के इच्छुक नहीं हैं।
यह मामला बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र विधानसभा में उठाया गया, जिसमें मंत्री गिरीश महाजन ने सदन को बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया है।
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटना महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में हुई। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने बताया कि घटना में कथित तौर पर शामिल प्रधानाचार्य महिला है।
कांग्रेस विधायक ज्योति गायकवाड़ ने भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और पानी की सुविधा अनिवार्य है।
भाषा आशीष रंजन
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