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Friday, July 11, 2025

हिप्र : सेना ने भूस्खलन प्रभावित मंडी जिले में राहत टुकड़ियां तैनात कीं, मुख्यमंत्री ने किया दौरा

Newsहिप्र : सेना ने भूस्खलन प्रभावित मंडी जिले में राहत टुकड़ियां तैनात कीं, मुख्यमंत्री ने किया दौरा

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली/शिमला, 10 जुलाई (भाषा)सेना ने हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बाढ़ और भूस्खलन की वजह से शेष हिस्सों से कट चुके दूरदराज के गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए राज्य के प्रमुख स्थानों पर अपनी टुकड़ियां तैनात की हैं।

इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर के साथ समन्वय स्थापित करने और मंडी जिले में राहत प्रयासों में तेजी लाने के लिए प्रमुख योजनाओं को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है।

सुक्खू ने राहत कार्यों का आकलन करने के लिए बुधवार को थुनाग क्षेत्र का दौरा किया था। उन्होंने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर दौरे की तस्वीरें साझा कीं।

सेना के मुताबिक उसका एक ब्रिगेड कमांडर परिचालन अद्यतन जानकारी और बल की टुकड़ियों के साथ मंडी में मौजूद है।

सेना के मुताबिक ब्रिगेड कमांडर की मुख्यमंत्री और मंडी के जिला उपायुक्त के साथ बैठक की भी योजना है।

सेना ने थुनाग, बग्सियाड और पंडोह सहित पूरे मंडी में राहत टुकड़ियां तैनात की हैं। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और स्थानीय अधिकारियों के साथ सेना की टुकड़ियां सहयोग कर रही हैं।

ब्रिगेडियर ने बताया, ‘‘सेना इस संकट के दौरान हिमाचल प्रदेश के नागरिकों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है और जरूरत के इस समय में नागरिक प्रशासन के साथ खड़ी है।’’

हिमाचल प्रदेश में 20 जून को मानसून ने दस्तक दी थी और तब से राज्य में औसत से 30 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। इस दौरान 31 बार अचानक बाढ़, 22 बार बादल फटने तथा 17 बार भूस्खलन की घटनाओं में कुल करीब 740 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है, कई लोगों की जान गई तथा इमारतों, फसलों और जंगलों को नुकसान पहुंचा है।

अधिकारियों के मुताबिक 30 जून और एक जुलाई की दरमियानी रात को मंडी में बादल फटने, उसके बाद अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की 10 घटनाओं के बाद लापता हुए 27 लोगों की तलाश जारी है, जबकि 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और पांच घायल हुए हैं।

सेना की टुकड़ियां अहम रास्तों को खोलने का प्रयास कर रही हैं।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘बग्सियाड से थुनाग तक एक महत्वपूर्ण खच्चर सेवा मार्ग को छह जुलाई को सफलतापूर्वक खोल दिया गया, जिससे आवश्यक सामान की आपूर्ति संभव हो सकी।’’

उन्होंने बताया कि थुनाग में प्रभावित परिवारों को चिकित्सा सहायता, प्राथमिक उपचार और राशन किट दी जा रही है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ असैन्य प्रशासन के साथ साझेदारी में, सेना ने बाढ़ से कटे दूरदराज के गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना सुनिश्चित किया है। पहले ही देगी (7 जुलाई), रुशाद (8 जुलाई) और चापड़ (9 जुलाई) तक सहायता पहुंचाई जा चुकी है।’’

सेना ने बताया कि सभी टुकड़ियां मोबाइल नेटवर्क के जरिए समन्वय कर रही हैं। हालांकि, थुनाग जैसे कुछ स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या आ रही है। उसने बताया कि निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह फोन और अन्य प्रमुख संचार प्रणालियों सहित उपग्रह संचार व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

वहीं, सुक्खू ने विभागों को सड़कों की मरम्मत और बाधित जल एवं बिजली आपूर्ति योजनाओं को फिर से शुरू करने के निर्देश दिए ताकि प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि वह राज्य के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से मिलने जल्द ही दिल्ली जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों, बिजली और पानी की योजनाओं को बहाल करने के लिए एक सप्ताह में विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया।

उन्होंने रेखांकित किया कि 56 किलोमीटर लंबी चैल चौक-जंजहैली सड़क को सुदृढ़ीकरण के लिए केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि (सीआरआईएफ) के तहत कोष के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भारी तबाही के बावजूद, 60 प्रतिशत पेयजल योजनाओं को अस्थायी रूप से बहाल कर दिया गया है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग से बेली और ‘सस्पेंशन ब्रिज’ बनाकर संपर्क बहाल करने को कहा, जिसके लिए सरकार आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराएगी।

सुक्खू और ठाकुर ने उन परिवारों के पुनर्वास के मुद्दे पर भी चर्चा की जिन्होंने तबाही में अपनी ज़मीनें गंवा दी हैं।

ठाकुर ने रेखांकित किया कि बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई है, और सर्दियां नज़दीक आने के साथ, उन लोगों के पुनर्वास को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता है जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है।

मुख्यमंत्री ने मंडी के उपायुक्त को प्रभावित परिवारों के अस्थायी पुनर्वास के लिए सुरक्षित स्थानों की पहचान करने के निर्देश दिए, जहां उन्हें तत्काल आश्रय प्रदान करने के लिए ढांचे स्थापित किए जा सकें।

सुक्खू ने अधिकारियों को बागवानी को हुए नुकसान का आकलन करने के भी निर्देश दिए।

भाषा धीरज पारुल नरेश

नरेश

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