नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) प्रकाशन उद्योग ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आयातित पुस्तकों पर लग रहे पांच प्रतिशत आयात शुल्क को समाप्त करने का आग्रह किया है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में देश में घरेलू प्रकाशन और मुद्रण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आयातित पुस्तकों पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने की घोषणा की थी। प्रकाशन उद्योग लंबे समय से इसे वापस लेने की मांग कर रहा है।
दिल्ली स्टेट बुक सेलर्स एंड पब्लिशर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हिमांशु चावला ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा, ‘‘ संगठन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर आयातित पुस्तकों पर पांच प्रतिशत शुल्क समाप्त करने का आग्रह किया है। इस आयात शुल्क से सरकारी राजस्व में कोई बहुत बढ़ोतरी नहीं हुई है न ही इससे विदेशी प्रकाशक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी किताबों की भारत में प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।’’
चावला ने कहा, ‘‘ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि विकसित देशों में भारत समेत विभिन्न देशों से किताबों के आयात पर कोई शुल्क नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के इस तरह आयात शुल्क लगाने से ये देश भी किताबों पर आयात शुल्क लगा सकते हैं जिससे देश के प्रकाशन उद्योग के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे विदेशी राजस्व संग्रह और रोजगार प्रभावित होंगे।’’
वर्तमान में भारत में आयात की जा रही पुस्तकें मुख्य रूप से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा पर आधारित हैं। इनमें से ज्यादातर किताबें ब्रिटेन, अमरिका और यूरोप में प्रकाशित होती हैं। इनमें से ज्यादातर पुस्तकें एमआईटी, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, हार्वर्ड आदि जैसे संस्थानों में किए जा रहे शोध का परिणाम हैं।
इन पुस्तकों का उपयोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र और शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों पर आयात शुल्क लगने से उनकी लागत बढ़ जाएगी, जिसका विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र समुदाय के व्यापक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने सरकार से प्रकाशन उद्योग में सुधार करने के लिए कदम उठाने का भी आग्रह किया।
चावला ने कहा की हालांकि किताबों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से मुक्त रखा गया है लेकिन पुस्तकों के प्रकाशन से जुड़े कॉपी एडिटर, प्रूफ रीडर, आदि की ‘फ्रीलांस’ सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू है जबकि लेखकों की रॉयल्टी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगा है।
दिल्ली स्टेट बुक सेलर्स एंड पब्लिशर्स एसोसिएशन, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुस्तक उद्योग के हितों को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाला सबसे पुराना संगठन है। यह संगठन पुस्तक विक्रेताओं और प्रकाशकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
भाषा निहारिका रमण अजय
अजय