नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) केंद्र ने भिखारियों के लिए प्रमुख पुनर्वास कार्यक्रम में संशोधन किया है और इस कार्यक्रम में समर्पित आश्रय गृह, व्यावसायिक प्रशिक्षण, मनोवैज्ञानिक परामर्श, स्वास्थ्य सेवाएं समेत बच्चों के लिए शिक्षा जैसी व्यवस्थाएं शामिल की गई हैं।
अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि संशोधित स्माइल (आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों को सहायता) योजना दंडात्मक प्रतिक्रियाओं से अधिकार-आधारित, पुनर्वास दृष्टिकोण की ओर बदलाव का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य संवेदनशील व्यक्तियों को संरचित सहायता प्रदान करना है।
नवीन स्माइल योजना चार-स्तरीय रणनीति पर आधारित है — पहले चरण में सर्वे और पहचान, फिर जनजागरूकता और समावेशन, इसके बाद राहत एवं आश्रय, और अंततः समग्र पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य देश के सबसे वंचित वर्गों का दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित करना और उनकी सामाजिक गरिमा बहाल करना है।
यह योजना राज्य प्रशासन और संबंधित संगठनों के साथ साझेदारी में देश भर के तीर्थस्थलों, धार्मिक महत्व के स्थलों, ऐतिहासिक स्थलों और पर्यटन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लागू की जाएगी।
योजना के संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, धार्मिक ट्रस्ट और तीर्थस्थल बोर्ड भी तीर्थस्थलों और धार्मिक स्थलों पर योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
केंद्र ने इस योजना के लिए तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जिसके तहत 2023-24 के लिए 30 करोड़ रुपये, 2024-25 के लिए 33 करोड़ रुपये और 2025-26 के लिए 37 करोड़ रुपये हैं।
धनराशि तीन किश्तों में जारी की जाएगी, 30 प्रतिशत राशि सर्वेक्षण और जागरूकता अभियान के लिए, 50 प्रतिशत आश्रय एवं पुनर्वास के लिए, और शेष 20 प्रतिशत राशि प्रगति के सत्यापन और पुनःएकीकरण की स्थिति के आधार पर प्रदान की जाएगी।
सरकार का लक्ष्य पहले वर्ष में ढाई हजार लोग, दूसरे वर्ष में छह हजार और तीसरे वर्ष में आठ हजार लोगों का पुनर्वास करना है। प्रत्येक आश्रय गृह को भोजन, परामर्श, कौशल विकास और जागरूकता अभियानों सहित संचालन लागतों को पूरा करने के लिए 48.7 लाख रुपये का वार्षिक बजट आवंटित किया गया है।
नगर निकाय और जिला प्रशासन लाभार्थियों की आयु, लिंग, कानूनी स्थिति और स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कारकों के आधार पर विस्तृत सर्वेक्षण करेंगे।
भाषा यासिर पवनेश
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