कोलकाता, 10 जुलाई (भाषा) देश के फसल उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाले छोटे चाय उत्पादकों ने केंद्र से एक उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया है ताकि वे कारखानों को चाय पत्तियां बेचकर उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में भारतीय लघु चाय उत्पादक संघों के परिसंघ (सीआईएसटीए) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तर्ज पर एक मूल्य संरक्षण योजना का सुझाव दिया है।
इसमें कहा गया है कि चाय बोर्ड को छोटे उत्पादकों और कारखानों के बीच एक समान मूल्य-साझाकरण अनुपात निर्धारित करने के लिए विस्तृत अध्ययन करना चाहिए।
सीआईएसटीए के अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि छोटे उत्पादकों को कम मूल्य प्राप्ति की लगातार चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो इस क्षेत्र के टिकाऊपन को कमजोर कर रहा है।
उन्होंने कहा कि छोटे उत्पादक देश के चाय उत्पादन में 52 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं, और एक उचित मूल्य निर्धारण तंत्र की पहचान की जानी चाहिए ताकि आजीविका बनी रहे।
चक्रवर्ती ने कहा कि एसोसिएशन ने मई, 2023 में वाणिज्य मंत्रालय को एक विस्तृत स्थिति पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें इस क्षेत्र के सामने आने वाली संरचनात्मक बाधाओं को रेखांकित किया गया है।
उन्होंने कहा कि न्यूनतम बेंचमार्क मूल्य की अवधारणा को कुल बिक्री मूल्य से जुड़ी एक नई पद्धति से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए ताकि उत्पादकों को उचित और लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके।
सीआईएसटीए ने श्रीलंकाई मॉडल का समर्थन किया, जिसके तहत नीलामी के औसत से अधिक अधिशेष आय को कारखानों और उत्पादकों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है।
छोटे उत्पादकों के लिए मूल्य संरक्षण योजना का प्रस्ताव करते हुए इसने कहा कि वर्तमान में हरी पत्तियों की औसत कीमत 22 रुपये से 25 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है, जबकि उत्पादन लागत 17 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है।
इसने कहा कि उत्पादकों को अपनी उपज के लिए पांच रुपये प्रति किलोग्राम का मामूली लाभ मिलता है।
दूसरी ओर, एजेंट आमतौर पर दो रुपये प्रति किलोग्राम लेते हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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