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Friday, July 11, 2025

पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शाह ने राज्यों के विकास के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया

Newsपूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शाह ने राज्यों के विकास के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया

(तस्वीर सहित)

रांची, 10 जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र नए सिरे से ध्यान देते हुए और नयी दिशा के साथ राज्यों के विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

शाह ने यह टिप्पणी 27वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में की, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी सहित चार पूर्वी राज्यों – झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

अधिकारियों ने बताया कि सोरेन ने राज्य से संबंधित 31 मुद्दे उठाए, जिनमें कोयला क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों पर 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया का मुद्दा भी शामिल है। उन्होंने ‘एमएसएमई’ के माध्यम से बेहतर बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन का आह्वान किया।

झारखंड ने आदिवासियों के लिए अलग सरना धार्मिक संहिता का मुद्दा भी उठाया।

बुधवार रात राज्य की राजधानी पहुंचे शाह बैठक के बाद एक विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मांगों में सार्वजनिक उपक्रमों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता, खदानों को सुरक्षित तरीके से बंद करना और पर्यटन को बढ़ावा देना तथा आदिवासी विरासत की रक्षा के लिए केंद्र का समर्थन शामिल हैं।

राज्य में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें महत्वपूर्ण रेलवे और राजमार्ग योजनाओं के अलावा एक मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव भी शामिल है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘‘बिहार के विभाजन के बाद बिहार और झारखंड के बीच संपत्ति के बंटवारे सहित लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया गया।’’

शाह ने चारों राज्यों को नक्सल समस्या को खत्म करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि 31 मार्च, 2026 तक इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।

उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देने पर उन्होंने कहा कि फैसले का स्वागत है और निर्वाचन आयोग के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं करता।

बैठक में, बिहार ने बिहार और झारखंड के बीच संपत्ति के बंटवारे से संबंधित लंबे समय से लंबित मुद्दों को उठाया, जो 15 नवंबर, 2000 को झारखंड के गठन के बाद से अनसुलझे हैं।

अधिकारियों के अनुसार, झारखंड ने कोयला क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम में संशोधन की मांग की ताकि खनन कंपनियां खनन पूरा होने के बाद राज्य सरकार को जमीन वापस कर दें।

मई में नीति आयोग के साथ बैठक के दौरान, सोरेन ने मांग की थी कि खनन कंपनियों को राज्य के भीतर उपयोग किए जाने वाले कुल उत्पादन की 30 प्रतिशत क्षमता वाले ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने का अधिकार दिया जाए।

उन्होंने कहा था कि इससे रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी आग्रह किया था कि पूर्वोत्तर राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता झारखंड को भी दी जाए।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बैठक में सोरेन के अलावा, झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, मंत्री दीपक बिरुआ, मुख्य सचिव अलका तिवारी, प्रमुख सचिव (गृह) वंदना दादेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता शामिल हुए।

सोरेन इस बैठक में भाग लेने के लिए करीब एक पखवाड़े बाद बुधवार देर रात रांची लौटे। वह दिल्ली में थे, जहां उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का इलाज चल रहा है।

बिहार का प्रतिनिधित्व मंत्री विजय चौधरी और सम्राट चौधरी ने किया, जो बुधवार को यहां पहुंचे।

ओडिशा के प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री माझी और उपमुख्यमंत्री पार्वती परिदा भी थे।

पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने किया।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के अंतर्गत देश में पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री इन पांच क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं, और सदस्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या उपराज्यपाल या प्रशासक इसके सदस्य होते हैं।

क्षेत्रीय परिषदें कई महत्वपूर्ण मामलों पर विचार करती हैं, जिनमें राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे शामिल हैं, जैसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों की त्वरित जांच, उनके शीघ्र निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव के निर्दिष्ट क्षेत्र में भौतिक बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन आदि।

अधिकारियों ने बताया कि इस बैठक के दौरान पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, शहरी नियोजन और सहकारी प्रणाली को मजबूत करने जैसे विभिन्न क्षेत्रीय और साझा हितों के मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है।

यह बैठक पहले 10 मई को होनी थी, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया था।

सरकार के अनुसार, किसी सदस्य राज्य के मुख्यमंत्री हर साल बारी-बारी के आधार पर क्षेत्रीय परिषद के उपाध्यक्ष होते हैं, जबकि प्रत्येक राज्य के राज्यपाल परिषद में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए दो मंत्रियों को नामित करते हैं।

प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में सदस्य राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति भी होती है। अधिकारियों ने बताया कि राज्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सबसे पहले इसी समिति में चर्चा की जाती है।

स्थायी समिति द्वारा समीक्षा के बाद, अनसुलझे मामलों को आगे की चर्चा के लिए पूर्ण क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाया जाता है।

अधिकारियों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के समग्र विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश

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