नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति (एससीएनबीडब्ल्यूएल) ने केंद्र के प्रजाति सरंक्षण कार्यक्रम में घड़ियाल और भालू को शामिल करने की सिफारिश की है। इसका उद्देश्य गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों और आवासों का संरक्षण करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मार्च में हुई बैठक में एनबीडब्ल्यूएल ने कई प्रजातियों की पहचान की जिन्हें तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, जिनमें एशियाई शेर, डॉल्फिन, घड़ियाल और भालू शामिल हैं।
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में 26 जून को हुई एससीएनबीडब्ल्यूएल की बैठक में वन्यजीव आवास विकास के लिए केंद्र प्रायोजित प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम के तहत घड़ियाल और भालू को शामिल करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया गया।
यह योजना वन्यजीव संरक्षण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
एससीएनबीडब्ल्यूएल ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) से प्राप्त जानकारी के आधार पर दोनों प्रजातियों के लिए संरक्षण रणनीति तैयार की है।
हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर भालुओं को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति नहीं माना गया है, फिर भी कुछ स्थानीय आबादी गंभीर रूप से संकटग्रस्त है।
एनबीडब्ल्यूएल के सदस्य आर सुकुमार ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में भालू बहुतायत में पाए जाते हैं, फिर भी वे अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्षों में शामिल रहते हैं। उन्होंने सरंक्षण रणनीति में एक व्यापक संघर्ष शमन योजना को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। डब्ल्यूआईआई निदेशक ने इस सिफारिश का समर्थन किया।
चंबल, यमुना, गंगा, शारदा, गिरवा, गंडक, रामगंगा, महानदी और ब्रह्मपुत्र जैसी भारतीय नदियों में पाया जाने वाला घड़ियाल, दशकों के संरक्षण प्रयासों के बावजूद गंभीर रूप से संकटग्रस्त बना हुआ है।
भाषा धीरज देवेंद्र
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