मुंबई, 10 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री शम्भूराज देसाई को विधान परिषद में ‘‘गद्दार’’ कहे जाने के बाद, बृहस्पतिवार को सदन में शिवसेना (उबाठा) नेता अनिल परब के साथ उनकी तीखी नोकझोंक हुई और सदन की कार्यवाही संक्षिप्त अवधि के लिए स्थगित करनी पड़ी।
नवनिर्मित हाउसिंग सोसाइटियों में 50 प्रतिशत आवास मराठी लोगों के लिए आरक्षित करने के विषय पर सदन में चर्चा के दौरान तीखी बहस हुई।
विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरहे ने बाद में कहा कि दोनों नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाएगा।
प्रश्नकाल के दौरान, शिवसेना (उबाठा) के मिलिंद नार्वेकर ने प्रश्न पूछा कि क्या एक सामाजिक संगठन ने शहर में 50 प्रतिशत आवासीय इकाइयां मराठी लोगों के लिए आरक्षित करने की मांग की है।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक निर्णय लिया है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लिखित जवाब में यह जानकारी दी कि विभाग को सामाजिक संगठन से ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है।
शिंदे के पास आवास विभाग का भी प्रभार है।
सदन की मनोनीत सदस्य और भाजपा नेता चित्रा वाघ ने कहा कि 50 प्रतिशत आवासीय इकाइयां मराठी लोगों के लिए आरक्षित करना उचित है। उन्होंने पूछा कि क्या उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ऐसा कोई प्रस्ताव था।
इस पर, शिंदे की ओर से जवाब दे रहे मंत्री देसाई ने कहा कि ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) के सत्ता में रहने के दौरान ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई, इसके उपनगरों या महाराष्ट्र में मराठी मानुष की अनदेखी करने का अधिकार किसी को नहीं है। यदि कोई बिल्डर ऐसा करता है तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।’’
शिवसेना नेता हेमंत पाटिल ने ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब वे सत्ता में थे, तो मराठी मानुष के लिए कुछ अच्छा करने का मौका था, लेकिन ‘नार्वेकरों’ के बजाय ‘चतुर्वेदियों’ को राज्यसभा भेज दिया गया।
वह संभवत: शिवसेना (उबाठा) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी की ओर इशारा कर रहे थे।
शिवसेना (उबाठा) के विधान परिषद सदस्य परब ने कहा कि उन्होंने पुनर्विकसित भवनों में 50 प्रतिशत घर मराठी भाषी लोगों के लिए आरक्षित करने के वास्ते एक गैर सरकारी विधेयक पेश किया था। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मौजूदा राज्य सरकार ऐसा कानून लाएगी।
हालांकि, मंत्री देसाई ने कहा कि जब 2019-2022 के दौरान एमवीए सत्ता में था, वह ऐसा कोई कानून नहीं लाया।
देसाई ने कहा, ‘‘आपने वह नहीं किया और यह रिकॉर्ड में है। मराठी मानुष के लिए आपका प्रेम फर्जी और दिखावटी है।’’
इस टिप्पणी के परिणामस्वरूप देसाई और परब के बीच तीखी नोकझोंक हुई और परब ने देसाई को ‘‘गद्दार’’ बताया।
उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा) के नेता सत्तारूढ़ शिवसेना के सदस्यों को (अभिवाजित शिवसेना में) बगावत के दौरान एकनाथ शिंदे का साथ देने के लिए गद्दार कह कर निशाना साधते रहे हैं। इस बगावत के कारण शिवसेना में जून 2022 में विभाजन हो गया था।
परब की टिप्पणी से आक्रोशित देसाई ने उनसे सदन के बाहर मिलने को कहा।
माहौल गर्म होने पर, गोरहे ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बाद में, उन्होंने कहा कि देसाई और परब की टिप्पणियां सदन के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं होंगी।
सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर देसाई ने कहा कि सरकार आवास के मामले में मराठी मानुष को प्राथमिकता देने के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह करेगी।
इससे पहले, शिवसेना (उबाठा) के सचिन अहीर ने कहा कि यदि किफायती मकान बनाने वाली सरकारी संस्था ‘म्हाडा’ में 15 साल के निवास प्रमाणपत्र का प्रावधान है, तो सरकार के पास इस पर विचार करने की गुंजाइश है।
उन्होंने कहा, ‘‘(भाजपा सांसद निशिकांत) दुबे का खार में एक फ्लैट है। वह यहां रहते नहीं हैं, बल्कि उन्होंने इसे किराये पर दे दिया है। इसलिए, मराठी मानुष के पास कोई घर नहीं है, लेकिन बाहरी लोग निवेश के तौर पर यहां घर खरीदते हैं।’’
दुबे ने हाल ही में, महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के बीच मनसे प्रमुख राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई उद्धव पर निशाना साधते हुए ‘‘पटक-पटक के मारेंगे’’ संबंधी टिप्पणी कर विवाद खड़ा कर दिया था।
बाद में, विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए देसाई ने कहा कि उनके और परब के बीच नोकझोंक मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्र में आवास परियोजनाओं में महाराष्ट्र के मूल निवासियों के हितों के संरक्षण पर चर्चा के दौरान हुई।
देसाई पर्यटन, खनन और पूर्व सैनिक कल्याण विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं और वह एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के नेता हैं।
देसाई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चर्चा मराठी लोगों के लिए आवास सुनिश्चित करने के कानूनी प्रावधानों पर हो रही थी। भाजपा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चित्रा वाघ ने सवाल किया कि क्या महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने ऐसा कोई कानूनी प्रावधान किया था। मैंने जवाब दिया कि उस सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था।’’
मंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि उनके इस जवाब से परब आक्रोशित हो गए।
देसाई ने कहा, ‘‘मैंने उद्धव ठाकरे नीत सरकार का जिक्र किया था, जिसका मैं पहले हिस्सा था। परब ने इस बात का उल्लेख किया और मुझे गद्दार कहा। मैंने भी इसी भाषा में जवाब दिया और इस कारण तीखी नोकझोंक हुई।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें यह भी बताने की कोशिश की कि एमवीए सरकार में मैं राज्य मंत्री था, जबकि परब कैबिनेट मंत्री थे। वह उद्धव ठाकरे के करीबी थे।’’
उन्होंने बताया कि उन्होंने गद्दार कहे जाने को लेकर परब पर पलटवार किया।
देसाई ने कहा, ‘‘हम भी दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी हैं। अगर कोई हमारे खिलाफ बोलेगा, अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करेगा, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। मैंने भी अपनी बात कही और वैसी ही भाषा का इस्तेमाल किया, क्योंकि उन्होंने ऐसा किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बालासाहेब ने हमें ‘जैसे को तैसा’ नीति सिखाई है। अगर वह (परब) इस मामले को और बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, तो मैं भविष्य में उन्हें उनकी भाषा में जवाब देने के लिए तैयार हूं। परब ने तो मुझे चेतावनी भी दी थी कि वह सदन के बाहर मुझसे निपटेंगे। मैंने चुनौती स्वीकार की और उनसे कहा कि मैं उनका सामना करने के लिए तैयार हूं।’’
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