नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्रूरता के आरोप सामने आने के बाद एक निजी प्रयोगशाला पर नये पशु खरीदने या रखने पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आठ जुलाई को ‘पालमूर बायोसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड’ की निरीक्षण रिपोर्ट और तस्वीरों की जांच की और कहा कि पशुओं की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल अंतरिम निर्देशों की आवश्यकता है।
अदालत ने पशुओं पर प्रयोगों के नियंत्रण और पर्यवेक्षण समिति (सीसीएसईए), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को पशु चिकित्सा और उन्हें उचित तरीक से संभालने के लिए विभिन्न उपाय लागू करने की खातिर तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने पशुओं के लिए उचित आवास की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘इस उद्देश्य के लिए, प्रतिवादी 1 (सीसीएसईए) द्वारा याचिकाकर्ता के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करने के लिए निरीक्षण किया जाए। यह काम एक सप्ताह के भीतर किया जाए। इसके बाद दो सप्ताह की अवधि के भीतर आवश्यक कदम उठाए जाएं। आज से चार सप्ताह के भीतर वस्तु-स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।’’
‘पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स’ (पेटा इंडिया) ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि ‘पालमूर बायोसाइंसेज’ पशुओं पर प्रयोग करने में संलग्न है।
पेटा इंडिया ने दावा किया कि उसने सीसीएसईए से इस केंद्र में पशुओं के साथ क्रूर व्यवहार के बारे में शिकायत की है।
पेटा ने कहा कि सीसीएसईए की ओर से गठित एक बहु-विषयक समिति द्वारा इस केंद्र का निरीक्षण किया गया था, जिसने 17 जून को अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उच्च न्यायालय ने याचिका पर सीसीएसईए और ‘पालमूर बायोसाइंसेज’ को नोटिस जारी किया और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया तथा सुनवाई की अगली तारीख चार अगस्त तय की।
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश