नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने बृहस्पतिवार को जारी अपने दैनिक बाढ़ बुलेटिन में देश के 21 नदी निगरानी स्थलों पर बाढ़ की आशंका जाहिर की जिनमें से चार स्थलों के गंभीर बाढ़ की चपेट में आने का खतरा है।
हालांकि, अभी तक किसी भी नदी में पानी का स्तर उसके उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) के पार नहीं गया है, लेकिन असम और बिहार में चार जगहों पर जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर चला गया है।
बुलेटिन के मुताबिक, असम के गोलाघाट जिले में धनसिरी नदी और बिहार में बागमती व गंडक उन प्रमुख नदियों में शामिल हैं, जिनमें पानी का स्तर चिंताजनक बना हुआ है तथा इसमें या तो वृद्धि हो रही है या फिर यह स्थिर है।
बुलेटिन के अनुसार, 17 अन्य जगहों पर बाढ़ की आशंका ‘सामान्य से अधिक’ है, क्योंकि वहां पानी का स्तर चेतावनी सीमा और खतरे की सीमा के बीच मंडरा रहा है। इनमें असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नदी क्षेत्र शामिल हैं।
बुलेटिन में कहा गया है कि असम में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, क्योंकि कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों में क्रमश: बराक, कुशियारा और कटखल नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है।
इसमें कहा गया है कि बिहार के रुनीसैदपुर में बागमती नदी और बसुआ में कोसी नदी के जल स्तर में भी बढ़ोतरी हो रही है, हालांकि यह अभी खतरे के निशान से नीचे है।
बुलेटिन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में फतेहगढ़, गढ़मुक्तेश्वर और कछला ब्रिज सहित विभिन्न गंगा निगरानी केंद्रों पर पानी का स्तर चेतावनी सीमा के ऊपर चले जाने की सूचना मिली है। इसमें कहा गया है कि एल्गिनब्रिज में घाघरा नदी और खड्डा में गंडक नदी पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।
बुलेटिन के अनुसार, 13 राज्यों के 25 जलाशय स्थलों पर जल प्रवाह अधिकतम सीमा के बराबर या उससे अधिक होने की सूचना प्राप्त हुई है। इनमें आंध्र प्रदेश में श्रीशैलम, कर्नाटक में अलमट्टी, ओडिशा में हीराकुंड और मध्यप्रदेश में इंदिरा सागर एवं बरगी बांध जैसे प्रमुख जलाशय शामिल हैं।
बुलेटिन में कहा गया है कि तेलंगाना में गोदावरी नदी पर स्थित लक्ष्मी बैराज में सबसे अधिक 18,000 क्यूमेक्स जल प्रवाह देखा गया, जबकि मध्यप्रदेश के इंदिरा सागर जलाशय में 11,000 क्यूमेक्स पानी बह रहा है।
इसमें कहा गया है कि प्रवाह पूर्वानुमान वाले अन्य प्रभावित राज्यों में झारखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां मैथन, पंचत, गोसीखुर्द, मेट्टूर और कांग्साबती जैसे स्थानों पर जल स्तर पर करीबी नजर रखी जा रही है।
भाषा पारुल अविनाश
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