जयपुर, 10 जुलाई (भाषा) राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बृहस्पतिवार को कहा कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से दो किताबें हटाईं जाएंगी। मंत्री ने दावा किया कि ये किताबें केवल गांधी परिवार के कुछ नेताओं का महिमामंडन करती हैं।
दिलावर की इस घोषणा से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इसे एक वैचारिक प्रहार बताते हुए आरोप लगाया कि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।
दिलावर ने आरोप लगाया, “ ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ पुस्तक के भाग 1 और 2 में कांग्रेस के ही कुछ नेताओं को महिमामंडित किया गया है।”
दिलावर ने आज यहां संवाददाताओं से दावा किया, ‘इस किताब में सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. बीआर आंबेडकर और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महान नेताओं का नाम नहीं है। इन पुस्तकों में केवल और केवल गांधी परिवार को महिमामंडित किया गया है जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए, पद और सत्ता के लिए देश में आपातकाल लगाया। लोकतंत्र की हत्या की व संविधान को निलंबित किया।’
दिलावर ने कहा, ‘हम अपने छात्रों को ऐसी किताबें नहीं पढ़ाने देंगे। साथ ही, ये किताबें पाठ्यक्रम में अतिरिक्त हैं और परीक्षाओं में अंकों के लिए इनका कोई महत्व नहीं है। फिर छात्रों पर बोझ क्यों डाला जाए?’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जैसे लोगों का इस किताब में जिक्र होना भी उतना ही जरूरी है।
वहीं कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा,’ सशक्त भारत के निर्माण में महानायकों का योगदान बताने वाली कक्षा 12वीं की किताबों पर शिक्षा मंत्री द्वारा अनावश्यक विवाद खड़ा करके उन्हें पाठ्यक्रम से हटाने की बयानबाजी करना आरएसएस की संकुचित सोच है व शिक्षा व्यवस्था पर वैचारिक प्रहार है।”
उन्होंने कहा कि कक्षा 12वीं की ये किताबें भाजपा सरकार की अनुमति के बाद छापी गई हैं व स्वयं शिक्षा मंत्री और अफसरों ने किताबें छापने की स्वीकृति दी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि चार लाख 90 हजार किताबें छप चुकी हैं और 80 फीसदी किताबें विद्यार्थियों को बांटी जा चुकी हैं। उनके मुताबिक, ऐसे में सवाल ये कि अब इन किताबों को पाठ्यक्रम से हटाने का क्या औचित्य है?
उन्होंने पूछा कि मंत्री को इन किताबों में अब कौनसी खामी नज़र आ रही है, जो उन्हें पहले नहीं दिखाई दी और क्या मंत्री और सरकार के जिम्मेदार अफसरों ने स्वीकृति देने से पहले जांच पड़ताल की?
डोटासरा ने ‘एक्स’ पर लिखा,“किताबों से पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को मिटाना केवल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में विचार निर्माण की दिशा को बदलने का प्रयास है। असल में मंत्री का उद्देश्य सिर्फ आरएसएस की विचारधारा एवं भाजपा की राजनीतिक सोच को किताबों के जरिए विद्यार्थियों पर थोपना है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार षड्यंत्र पूर्वक इतिहास को तोड़-मरोड़कर एक पक्षीय शिक्षा से आरएसएस की नफ़रती सोच को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहती है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर ऐसा हुआ, तो यह न केवल विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण के लिए चिंताजनक संकेत होगा, बल्कि उनमें संकीर्ण और विघटनकारी सोच का कारण भी बन सकता है।
डोटासरा के अनुसार, जब वह शिक्षा मंत्री थे तो पाठ्यक्रम में चार किताबें सम्मिलित की गई, जिनमें आज़ादी के बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों व युगपुरुषों का अमिट योगदान शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह वो योगदान है जो उन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखने से लेकर सशक्त भारत के निर्माण तक देश को सींचने और दुनिया में शक्ति का केंद्र स्थापित करने में दिया।
कांग्रेस नेता ने पूछा, “क्या भाजपा सरकार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखने वाले हिंद के जवाहर की विरासत को मिटाना चाहती है? भारत को शून्य से शिखर तक पहुंचाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के दूरदर्शी नेतृत्व से बने आईआईटी, आईआईएम, इसरो, योजना आयोग, एम्स और शिक्षा व सामाजिक न्याय के योगदान को मिटाना चाहती है?”
डोटासरा ने यह भी पूछा, “क्या भाजपा सरकार देश की एकता और अखंडता के लिए बलिदान देने वाली ‘आयरन लेडी’ इंदिरा गांधी के मजबूत इरादों से पाकिस्तान के दो टुकड़े, पोखरण में परमाणु परीक्षण, बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसे ऐतिहासिक निर्णयों को छिपाना चाहती है?”
डोटासरा ने सवाल किया कि या फिर ये सरकार आधुनिक भारत के निर्माता और देश को कंप्यूटर-युग में प्रवेश कराने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कंप्यूटर व दूरसंचार क्रांति एवं पंचायती राज को सुदृढ़ करने जैसे अनेक ऐतिहासिक फैसले को मिटाना चाहती है?
उन्होंने सवाल उठाया, “क्या भाजपा को देश में उदारीकरण व आर्थिक सुधारों के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह का योगदान कम दिखता है? जिनके कुशल नेतृत्व में भारत की जनता को मनरेगा, भोजन का अधिकार, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसी कल्याणकारी नीतियां व अधिकार मिले।”
कांग्रेस नेता ने पूछा, “क्या भाजपा सरकार देश के महानायकों का ये अमिट योगदान पाठ्यक्रम से हटाकर छात्रों से इतिहास और सच्चाई छिपाना चाहती है?”
भाषा पृथ्वी नोमान
नोमान