मनीला, 11 जुलाई (एपी) अमेरिका के प्रशांत महासागर क्षेत्र बेड़े के कमांडर ने कहा कि चीन ‘‘धौंस दिखाने वाली अपनी तरकीबों’’ के बावजूद विवादित दक्षिण चीन सागर में संप्रभु हितों को छोड़ने के लिए अन्य दावेदार देशों को डराने में विफल रहा है तथा वाशिंगटन और अन्य सहयोगी देश बीजिंग की आक्रामकता के खिलाफ प्रतिरोध को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं।
दुनिया के सबसे बड़े नौसैन्य बेड़े की कमान संभाल रहे एडमिरल स्टीफन कोलर ने शुक्रवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जहाजों के आवागमन की स्वतंत्रता और कानून के शासन की रक्षा में मदद के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि प्रशांत बेड़े का मिशन सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर पूरे क्षेत्र में आक्रामकता को रोकना और ‘‘जरूरत पड़ने पर युद्ध में जीत हासिल करना’’ है।
कोलर ने कहा, ‘‘चीन की रणनीति लगातार और अधिक आक्रामक होती जा रही है, जिसमें टक्कर मारना, पानी की बौछारें करना, लेजर का इस्तेमाल करना और कभी-कभी उससे भी बदतर तरीके शामिल हैं। लेकिन इन धमकाने वाले हथकंडों के बावजूद…चीन दक्षिण-पूर्व एशियाई दावेदारों को उनके संप्रभु अधिकारों का परित्याग कराने के लिए डराने-धमकाने में नाकाम रहा है।’’
चीनी अधिकारियों ने कोलर की टिप्पणी पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने पूर्व में वाशिंगटन को चेतावनी दी थी कि वह उस मामले में हस्तक्षेप करना बंद करे, जिसे बीजिंग पूरी तरह से एशियाई विवाद कहता है और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का प्रयास कर रहा है।
अमेरिकी कमांडर ने बताया कि किस तरह इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम ने बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता के बावजूद दक्षिण चीन सागर में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में अपने अपतटीय तेल और गैस परिचालन को बनाए रखा है या उसका विस्तार किया है।
उन्होंने कहा कि फिलीपीन ने चीनी सेना के खतरनाक युद्धाभ्यासों को सार्वजनिक करके चीन की आक्रामक कार्रवाइयों को उजागर किया है, जिसमें पानी की जोरदार बौछार और लेजर किरणों का उपयोग करना भी शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी प्रशांत बेड़ा आपके साथ मिलकर काम करने के लिए हमेशा तैयार है ताकि प्रतिरोध को मजबूत किया जा सके और यह प्रदर्शित किया जा सके कि किसी भी देश को दबाया नहीं जा सकता।’’
कोलर ने कहा कि प्रतिरोध ने उस बड़े संघर्ष और संकट को रोकने में मदद की है जो जलमार्ग के माध्यम से व्यापार में बाधा डाल सकता है और कई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है।
फिलीपीन ने दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ अपने विवादों को 2013 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए उठाया था। इसके एक वर्ष पहले विवादित जल क्षेत्र को लेकर तनाव उत्पन्न हुआ था। हालांकि, चीन ने मध्यस्थता में भाग लेने से इनकार कर दिया और इसका उल्लंघन करना जारी रखा।
फिलीपीन में अमेरिकी राजदूत मैरीके कार्लसन ने कहा कि मध्यस्थता का निर्णय फिलीपीन के लिए एक जीत है और ‘‘यह हमें ऐसे भविष्य की ओर ले जाने वाला एक प्रकाश स्तंभ है, जहां शक्तिशाली देश अन्य देशों के कानूनी अधिकारों को कुचल नहीं सकेंगे।’’
उन्होंने कहा कि यदि फिलीपीन सेना पर दक्षिण चीन सागर सहित किसी भी क्षेत्र में सशस्त्र हमला होता है तो अमेरिका 1951 की पारस्परिक रक्षा संधि के तहत फिलीपीन की रक्षा करने के लिए बाध्य है।
एपी सुभाष नरेश
नरेश
