नयी दिल्ली, 11 जुलाई (भाषा) सरकार ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के वास्ते सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र करना शुरू कर दिया है।
न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली स्थित अपने आवास में आग लगने की घटना के बाद वहां से जले हुए नोटों की गड्डियां मिलने के बाद विवादों में घिर गये थे।
सूत्रों ने बताया कि महाभियोग प्रक्रिया के लिए लोकसभा के कई सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र कर लिये गए हैं, जो इस बात का संकेत है कि यह प्रस्ताव निचले सदन में पेश किया जा सकता है।
आग की घटना के वक्त न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में नियुक्त थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेज दिया गया और सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा आंतरिक जांच के आदेश दिये गये।
हालांकि न्यायमूर्ति वर्मा ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है, लेकिन जांच समिति का कहना है कि वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का उस भंडार गृह पर ‘गुप्त या सक्रिय नियंत्रण’ था, जहां से नकदी मिली थी। इसके बाद उन्हें हटाये जाने की मांग उठने लगी थी।
न्यायमूर्ति वर्मा के इस्तीफ़ा देने से इनकार करने के बाद, यह मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेज दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के आगामी सत्र में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ एकता का संदेश देने के लिए विपक्षी दलों से बात करेगी, ताकि उन्हें अपने साथ लाया जा सके।
लोकसभा में ऐसे प्रस्ताव के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं, जबकि राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
भाषा सुरेश माधव
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