मुंबई, 11 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र विधान परिषद ने विपक्ष के बहिर्गमन के बीच शुक्रवार को उस विधेयक पारित कर दिया, जिसमें वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और इसके तहत अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाने का प्रावधान किया गया है।
विधानसभा द्वारा बृहस्पतिवार को विधेयक को मंजूरी दिये जाने के एक दिन बाद विधान परिषद ने इस पर मुहर लगाई है।
महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक को गृह राज्य मंत्री (शहरी) योगेश कदम ने राज्य विधान परिषद में पेश किया।
राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा विधेयक को पारित किये जाने के बाद अब राज्यपाल की स्वीकृति मिलने पर कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
विधेयक में कहा गया है कि वामपंथी उग्रवादी संगठनों या इसी तरह के संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों से सार्वजनिक व्यवस्था खतरे में पड़ रही है और ऐसी गतिविधियां कानून के शासन और सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने में हस्तक्षेप करती हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘वामपंथी उग्रवादी संगठनों या इसी तरह के संगठनों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की प्रभावी रोकथाम और उससे जुड़े मामलों के लिए एक नया कानून बनाना आवश्यक है।’’
इस अधिनियम के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। इसमें कहा गया है कि इस कानून के तहत अपराध केवल पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की लिखित अनुमति से ही दर्ज किए जाएंगे।
इस तरह का कानून लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्य मंत्री कदम ने कहा कि हालांकि सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व कर रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) एक प्रतिबंधित संगठन है, लेकिन इसके सहयोगी संगठन भी हैं जो इसके अग्रिम संगठनों के रूप में काम करते हैं।
कई विपक्षी सदस्यों ने नक्सली गतिविधियों से निपटने के लिए नए कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाया, जबकि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) जैसे कड़े कानून पहले से ही लागू हैं।
कदम ने उदाहरण देते हुए कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए एक अलग कानून की आवश्यकता है।
मंत्री ने राजा ठाकुर द्वारा संचालित देशभक्ति युवा मंच नामक संगठन का उल्लेख किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वह (राजा ठाकुर) नक्सलियों में शामिल हो गया था और बाद में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया था।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईबाबा के मामले का भी उल्लेख किया, जिन्हें नक्सलियों के साथ कथित संबंधों के कारण गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पिछले वर्ष बम्बई उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था।
कदम ने कहा, ‘‘उन्हें (साईंबाबा को) गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में बरी कर दिया गया। एक व्यक्ति सीधे तौर पर हिंसा में शामिल नहीं हो सकता है, लेकिन (चरमपंथी वामपंथी विचारधारा) फैलाने के लिए भाषण दे सकता है या कार्यक्रम आयोजित कर सकता है। कोई हिंसा नहीं हुई थी, इसलिए यूएपीए लागू नहीं हुआ (उनके मामले में)। उन्हें 2024 में बरी कर दिया गया।’’
उन्होंने कहा यह कानून केवल वामपंथी उग्रवादी संगठनों पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह कानून गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल समूहों पर प्रतिबंध लगाने के लिए है।
उन्होंने कहा कि एक परामर्श बोर्ड होगा जो सरकार द्वारा किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद उसका मूल्यांकन करेगा। इस परामर्श बोर्ड में एक वर्तमान या सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और एक सरकारी वकील शामिल होंगे।
इस पर शिवसेना (उबाठा) के नेता अनिल परब ने कहा कि परामर्श बोर्ड सरकार के हाथों की ‘‘कठपुतली’’ होगा और उन्होंने बोर्ड में सेवानिवृत्त न्यायाधीश की बजाय वर्तमान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को रखने पर जोर दिया।
मंत्री ने बताया कि चार राज्यों ने इसी तरह का कानून बनाया है।
कदम ने दलील दी, ‘‘कानून लाने के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। हमने जंगलों में नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश की है, लेकिन ‘अर्बन नक्सल’ को खत्म करने के लिए भी कानून की जरूरत है।’’
परब ने कहा कि यह विधेयक राजनीतिक प्रकृति का है और जल्दबाजी में लाया गया है।
कांग्रेस के अभिजीत वंजारी ने सवाल उठाया कि जब देश में मकोका और यूएपीए जैसे कानून पहले से ही मौजूद हैं तो ऐसे कानून की क्या जरूरत है।
उन्होंने मांग की कि विधेयक को फिर से प्रवर समिति के पास भेजा जाए।
शिवसेना (उबाठा) के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई, जिससे सदन में हंगामा खड़ा हो गया और कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। इसके बाद विपक्ष ने वॉकआउट किया, हालांकि ऊपरी सदन ने विधेयक पारित कर दिया।
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख और विधान परिषद सदस्य उद्धव ठाकरे सदन में मौजूद तो थे, लेकिन उन्होंने कोई वक्तव्य नहीं दिया। वहीं, उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे, जो विधायक हैं, बहस सुनने के लिए सदस्यों के लिए निर्धारित दर्शक दीर्घा में बैठे थे।
इस बीच, शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक को ‘भाजपा सुरक्षा अधिनियम’ बताते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी सोचती है कि जो कोई भी इसके खिलाफ बोलता है वह राष्ट्र विरोधी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक राजनीतिक मंशा से लाया गया है और आशंका जताई कि इसका विपक्ष के साथ-साथ आम नागरिकों के खिलाफ भी दुरुपयोग किया जाएगा।
यहां राज्य विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि सरकार ने भारी बहुमत से विधेयक पारित कराया है।
ठाकरे ने कहा कि सरकार ने जोर देकर कहा है कि यह विधेयक नक्सलवाद और आतंकवाद को खत्म करने के लिए लाया गया है, लेकिन मसौदे में इसका कोई जिक्र नहीं है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘यह बहुत ही अस्पष्ट विधेयक है। इसमें राजनीतिक मंशा की बू आती है। हमें लगता है कि इस नए कानून का राजनीतिक दुरुपयोग होगा।’’
भाषा
देवेंद्र पवनेश
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