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Saturday, July 12, 2025

स्कूल के समय में बदलाव पर चर्चा किये जाने की आवश्यकता: सुन्नी विद्वान संघ

Newsस्कूल के समय में बदलाव पर चर्चा किये जाने की आवश्यकता: सुन्नी विद्वान संघ

तिरुवनंतपुरम/कोझिकोड, 12 जुलाई (भाषा) समस्त केरल जेम-इय्याथुल उलमा ने शनिवार को कहा कि स्कूल के संशोधित समय को लागू करने से पहले विचार-विमर्श किए जाने की आवश्यकता है।

समस्त केरल जेम-इय्याथुल उलमा, केरल के सुन्नी मुसलमानों के बीच एक प्रमुख धार्मिक संगठन है और इसे आमतौर पर ‘‘समस्ता’’ भी कहा जाता है

प्रमुख इस्लामी विद्वान और समस्ता नेता सैयद जिफरी मुथुकोया थंगल ने कोझिकोड में पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वालों की प्रतिक्रिया ‘‘विनम्र होनी चाहिए न कि अड़ियल’’।

उन्होंने यह बयान पत्रकारों द्वारा इस बात की ओर ध्यान दिलाए जाने के जवाब में दिया कि राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा है कि किसी विशेष समुदाय के लिए स्कूल के समय में बदलाव नहीं किया जा सकता।

थंगल ने कहा कि समस्ता ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के समक्ष लिखित रूप में अपनी चिंताएं बताई थीं और उन्हें इसका जवाब देना था।

समस्ता नेता ने कहा, ‘‘मंत्री (शिवनकुट्टी) जो चाहें कह सकते हैं, लेकिन हमने मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन दिया है। इसलिए उन्हें (विजयन को) जवाब देना होगा।’’

उन्होंने कहा कि सरकार समुदायों के हितों की रक्षा करने के लिए मौजूद है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़े समुदाय की जरूरत है। यही समुदाय चुनाव में मत देते हैं। सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।’’

थंगल ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मदरसा कक्षाएं सोने के समय आयोजित की जाएंगी और कहा कि दिन में केवल 24 घंटे होते हैं।

इस बीच, शिवनकुट्टी ने दोहराया कि केरल उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार स्कूल का समय 30 मिनट बढ़ा दिया गया है, दिन के पहले भाग में 15 मिनट और दूसरे भाग में 15 मिनट।

उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई ‘‘अहंकारी’’ रुख नहीं अपना रहे हैं और वह अदालत के आदेश से बाहर नहीं जा सकते।

मंत्री ने कहा कि वह समस्ता या किसी अन्य संगठन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि अदालत के आदेश के संबंध में कोई चर्चा नहीं हो सकती।

स्कूलों के समय में बदलाव राज्य में एक मुद्दा बन गया है तथा समस्ता समेत कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, जिनका तर्क है कि इससे मदरसों की कक्षाएं प्रभावित होंगी।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

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