तिरुवनंतपुरम, 12 जुलाई (भाषा)केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शनिवार को राज्य के दो सीबीएसई विद्यालयों में छात्रों से एक अनुष्ठान के तहत सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धुलवाने की खबर पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह कृत्य निंदनीय और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में विद्यालयों के प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और लोक शिक्षण निदेशक (डीपीआई) को यह कार्य सौंपा गया है।
मंत्री का यह बयान मीडिया में आई उन खबरों के बीच आया है, जिनमें कहा गया था कि बृहस्पतिवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित समारोहों के तहत कासरगोड और मावेलिक्कारा में भारतीय विद्यानिकेतन प्रबंधन के अंतर्गत संचालित दो सीबीएसई विद्यालयों में ‘पाद पूजा’ (पैर धोने) का अनुष्ठान किया गया।
शिवनकुट्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘छात्रों में गुलामी की मानसिकता पैदा करने वाली ऐसी प्रथाएं किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार्य हैं। शिक्षा से ज्ञान और आत्म-जागरूकता ही मिलनी चाहिए।’’
वामपंथी नेता ने भी इस घटना पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को अत्यंत गंभीरता से ले रही है क्योंकि यह निंदनीय हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में वैज्ञानिक जागरूकता और प्रगतिशील सोच पैदा करना है। इस तरह की गतिविधियां हमारी शिक्षा प्रणाली के मूल लक्ष्यों को कमजोर करती हैं।’’
इस बीच, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)का छात्र संगठन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने शनिवार को कहा कि यह अनुष्ठान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) नियंत्रित स्कूलों में किया जाता है, और बच्चों को सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धोने के लिए मजबूर करना निंदनीय है।
एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष एम शिवप्रसाद ने एक बयान में कहा कि यह समाज में ‘चातुर्वर्ण्य’ (प्राचीन जाति व्यवस्था) लागू करने के एजेंडे का हिस्सा है और इस ‘असभ्य’ कृत्य को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
भाषा धीरज माधव
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