पुणे, 12 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले में आरोपी बनाये जाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) के विधायक रोहित पवार ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है।
पवार ने कहा कि प्राथमिकी में 97 अन्य लोगों के नाम होने के बावजूद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला अब अदालत में है, इसलिए वह कानूनी रूप से मुकदमा लड़ेंगे और जीतेंगे।
ईडी ने कथित एमएससीबी घोटाले में हाल में मुंबई की एक विशेष अदालत में आरोप-पत्र दाखिल कर अहिल्यानगर जिले के कर्जत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र के विधायक पवार को आरोपी बनाया है।
एमएससीबी का धनशोधन मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा अगस्त 2019 में दर्ज की गयी प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अपने रिश्तेदारों/निजी व्यक्तियों को औने-पौने दामों पर धोखाधड़ी से एसएसके (सहकारी चीनी कारखाना) बेचा था।
छत्रपति संभाजीनगर में कन्नड़ एसएसके को बारामती एग्रो लिमिटेड ने खरीदा था, जो पवार की कंपनी है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि एमएससीबी ने कन्नड़ एसएसके लिमिटेड के 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली के लिए 13 जुलाई, 2009 को वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन (सरफेशी) अधिनियम के तहत उसकी सभी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया।
इसके बाद एमएससीबी ने 30 अगस्त, 2012 को एक संदिग्ध मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर ‘बेहद कम’ आरक्षित मूल्य तय करके कन्नड़ एसएसके की नीलामी की। बारामती एग्रो के अलावा, दो अन्य पक्ष भी बोली प्रक्रिया में शामिल हुए।
ईडी ने कहा कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले बोलीदाता को तकनीकी रूप से मामूली आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया, जबकि दूसरा बोलीदाता पहले से ही बारामती एग्रो का एक करीबी व्यावसायिक सहयोगी था, जिसके पास न तो कोई वित्तीय क्षमता थी और न ही चीनी इकाई चलाने का कोई अनुभव।
पवार ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जब ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की थी, तो उसमें कुछ राजनीतिक नेताओं समेत 97 लोगों के नाम थे। मेरा नाम उसमें नहीं था। बारामती एग्रो द्वारा चीनी मिल खरीदने से पहले, यह इकाई एक प्रशासक के नियंत्रण में थी, क्योंकि इसका कोई उचित रूप से निर्वाचित निदेशक मंडल नहीं था। प्रशासक ने ही निविदा जारी की थी, जिसे बाद में बारामती एग्रो ने उचित प्रक्रिया के माध्यम से हासिल किया।’’
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान ईडी ने सभी 97 लोगों को एक तरफ रखा और उनके खिलाफ जांच शुरू की।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2024 में मुझे पूछताछ के लिए दो बार ईडी कार्यालय बुलाया गया। मुझसे 12 घंटे पूछताछ की गई, मैंने ईडी अधिकारियों को सारी जानकारी दी। उन्होंने हर चीज़ की जांच की। वे मिल भी गए। हालांकि, ईडी ने मिल पर प्रतीकात्मक कब्ज़ा कर लिया है, फिर भी इसे मैं ही चला रहा हूं। किसी भी किसान को कोई समस्या नहीं होगी।’’
उन्होंने दावा किया कि प्राथमिकी में जिन 97 लोगों के नाम हैं, उनमें से कई अब भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना या अजित पवार की राकांपा से जुड़े हैं।
भाषा
राजकुमार सुरेश
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