नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) अमेरिका जाने की योजना बना रहे भारतीय छात्रों, पर्यटकों, व्यापारिक यात्रियों और प्रौद्योगिकी कंपनियों में काम करने वाले लोगों को जल्द ही मौजूदा वीजा शुल्क से दोगुने से अधिक का भुगतान करना पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका द्वारा एक नयी ‘वीजा इंटीग्रिटी फी’ लगायी जा रही है। आव्रजन सेवा सलाहकारों ने यह जानकारी दी।
‘वीजा इंटीग्रिटी फी’ का उल्लेख चार जुलाई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ (अब एक अधिनियम) में किया गया है।
आव्रजन क्षेत्र पर नजर रखने वाले और विदेश में अध्ययन के लिए छात्रों को सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियां, ट्रंप द्वारा कर छूट और व्यय में कटौती के उनके पैकेज पर हस्ताक्षर करने से पहले से ही इस विधेयक पर बारीकी से नजर रख रही थीं।
विधेयक का मूलपाठ इस प्रकार है, “वीजा इंटीग्रिटी फी– (1) सामान्यतः– कानून द्वारा अनुमोदित किसी अन्य शुल्क के अतिरिक्त, गृह मंत्री किसी भी गैर-आप्रवासी वीजा जारी किए गए विदेशी नागरिक से, वीजा जारी किए जाने के समय, इस उपधारा में निर्दिष्ट राशि के बराबर शुल्क वसूलने के लिए बाध्य होंगे। (2) प्रारंभिक राशि — वित्त वर्ष 2025 के लिए, इस धारा के अंतर्गत निर्दिष्ट राशि वह होगी, जो निम्न में से अधिक हो: (अ) 250 अमेरिकी डॉलर; या (ब) वह राशि जो गृह मंत्री नियमों के माध्यम से निर्धारित करें।
हैदराबाद स्थित विदेशी शिक्षा फर्म के भागीदार, हैदराबाद ओवरसीज कंसल्टेंट्स के संजीव राय ने कहा कि नयी वीजा शुल्क व्यवस्था “जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है”।
हालांकि, अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, न ही यह बताया गया है कि कितना शुल्क लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “अतिरिक्त वीजा इंटीग्रिटी फी के साथ, बी1/बी2 वीजा (व्यावसायिक या पर्यटक) के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों को, जिसकी लागत लगभग 16,000 रुपये (185 अमेरिकी डॉलर) है, नए शुल्क के साथ लगभग 37,500 रुपये का भुगतान करना होगा।”
भाषा प्रशांत पवनेश
पवनेश