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Sunday, July 13, 2025

एअर इंडिया दुर्घटना रिपोर्ट में ईंधन आपूर्ति बंद होने और पायलटों में भ्रम की ओर इशारा किया गया

Newsएअर इंडिया दुर्घटना रिपोर्ट में ईंधन आपूर्ति बंद होने और पायलटों में भ्रम की ओर इशारा किया गया

नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) एअर इंडिया की उड़ान संख्या 171 के अहमदाबाद से उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त होने से कुछ सेकंड पहले, इसके दोनों इंजनों के ईंधन नियंत्रण स्विच बंद हो गए थे। यह बात शनिवार को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कही गई जोकि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के कॉकपिट में पायलट की एक भयावह गलती की ओर इशारा करती है।

एयरलाइंस पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एपीएआई) ने रिपोर्ट से असहमति जताते हुए कहा कि जांच ‘गोपनीयता के आवरण में लिपटी हुई’, पायलट के खिलाफ पक्षपातपूर्ण प्रतीत होती है और इसमें जल्दबाजी में निष्कर्ष पर पहुंचा गया है।

दुर्घटना की 15 पृष्ठों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट से पता चला कि दोनों इंजनों के ईंधन नियंत्रण स्विच एक सेकंड के अंतराल में ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए थे, जिसके कारण विमान की ऊंचाई में तत्काल कमी आ गई।

कॉकपिट की आवाज रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता सुनाई देता है कि उसने ईंधन क्यों बंद किया, जिस पर दूसरा पायलट ईंधन बंद करने से इनकार करता है।

विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एआईआईबी) की शनिवार सुबह जारी की गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उड़ान के दौरान स्विच ‘कटऑफ’ स्थिति में कैसे आ गए और न ही दुर्घटना के लिए किसी पर स्पष्ट रूप से दोष तय किया गया है।

रिपोर्ट में आवाज की रिकॉर्डिंग में पायलटों की पहचान भी नहीं की गई। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि विमान में कोई खामी नहीं थी, जिससे केवल अब पायलट की गलती ही एकमात्र संभावित कारण बचता है।

विमान का नियंत्रण फर्स्ट आफिसर क्लाइव कुंदर (32) के पास था, जबकि एअर इंडिया में 30 वर्षों का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ अधिकारी सुमित सभरवाल, उड़ान की निगरानी करने वाले वरिष्ठ कॉकपिट अधिकारी थे।

हालांकि, रिपोर्ट में 2018 के एक ‘एयरवर्थीनेस बुलेटिन’ का संदर्भ दिया गया, जो ‘यूनाइटेड स्टेट फेड्रल एविएशन एडमिन्ट्रेशन (एफएए) द्वारा जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि बोइंग 737 जैसे छोटे मॉडल में ‘फ्यूल स्विच’ को ‘लॉकिंग फीचर डिसएंगेज’ के साथ लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘लॉकिंग प्रणाली’ बोइंग के विभिन्न विमान मॉडल के समान था, जिसमें कुछ 787 भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एअर इंडिया ने 2018 के एफएए परामर्श के अनुसार ‘फ्यूल कंट्रोल स्विच सुरक्षा का निरीक्षण नहीं किया, क्योंकि उस बुलेटिन को ‘गैर-आवश्यक’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो पाया कि इसका दुर्घटना से कोई संबंध था या नहीं। रिपोर्ट में अहमदाबाद में विमान के उड़ान भरने और हवाई अड्डे की परिधि के ठीक बाहर एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में दुर्घटनाग्रस्त होने के बीच के 32 सेकंड के दुर्भाग्यपूर्ण समय का पहला विस्तृत विवरण दिया गया है। इस दुर्घटना में विमान में सवार 242 लोगों में से एक को छोड़कर सभी की मौत हो गई थी और जमीन पर 19 अन्य लोग मारे गए। यह एक दशक में सबसे घातक विमान दुर्घटना थी।

रिपोर्ट में इस बात का कोई सुराग नहीं दिया गया है कि विमान के उड़ान भरने के तुरंत बाद दोनों ईंधन नियंत्रण स्विच (जिनका उपयोग इंजनों को बंद करने के लिए किया जाता है) ‘कटऑफ’ स्थिति में कैसे चले गए। इससे दोनों इंजनों को ऊपर उठाने के लिए जरूरी ‘थ्रस्ट’ नहीं मिल पाया। रिपोर्ट में किसी पक्षी के टकराने या ईंधन में गड़बड़ी की संभावना खारिज की गई।

रिपोर्ट में दिए गए घटनाक्रम के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग तुरंत बाद, दोनों ईंधन कटऑफ स्विच एक सेकंड के अंतराल पर ‘रन’ से कटऑफ स्थिति में चले गए। दोनों इंजन की गति न्यूनतम गति से कम हो गई तो हाइड्रोलिक पावर की आपूर्ति के लिए रैम एयर टर्बाइन (आरएटी) पंप का इस्तेमाल किया गया।

लगभग 10 सेकंड बाद, इंजन 1 का ईंधन कटऑफ स्विच अपनी तथाकथित ‘रन’ स्थिति में चला गया और उसके चार सेकंड बाद इंजन 2 भी ‘रन’ स्थिति में आ गया। पायलट ने दोनों इंजनों को फिर से शुरू किया, लेकिन केवल इंजन 1 ही चालू हो पाया, जबकि इंजन 2 गति बढ़ाने के लिए पर्याप्त शक्ति उत्पन्न नहीं कर पाया।

पायलटों में से एक ने संकटकालीन चेतावनी ‘‘मे डे, मे डे, मे डे’’ जारी की, लेकिन इससे पहले कि हवाई यातायात नियंत्रकों को कोई प्रतिक्रिया मिल पाती कि विमान में क्या गलत हुआ है, विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे की सीमा के ठीक बाहर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान पेड़ों से टकराते हुए एक छात्रावास से टकरा गया।

विमान के उड़ान भरने और दुर्घटनाग्रस्त होने के बीच का समय केवल 32 सेकंड का था। प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बोइंग 787-8 विमान के ऑपरेटरों के लिए फिलहाल कार्रवाई की कोई सिफारिश नहीं की गई है।

एअर इंडिया ने एक बयान में कहा कि वह ‘पीड़ित परिवारों और लोगों के साथ एकजुटता से खड़ी है’ तथा दुर्घटना में मारे गए लोगों के प्रति ‘शोक व्यक्त करती है।’’

एअर इंडिया ने कहा कि वह ‘नियामकों सहित हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है’ और ‘एएआईबी और अन्य प्राधिकारियों के साथ उनकी जांच में पूरी तरह से सहयोग करना जारी रखेगी।’

वहीं, बोइंग ने कहा, ‘‘हमारी संवेदनाएं एअर इंडिया उड़ान 171 के यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के परिजनों के साथ हैं, साथ ही अहमदाबाद में इस घटना में मारे गए अन्य लोगों के परिजनों के साथ भी हमारी संवेदनांए हैं। हम जांच में सहयोग देना जारी रखेंगे।’

यूनाइटेड स्टेट नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने उल्लेख किया कि रिपोर्ट में बोइंग 787 विमान या जीई इंजनों के ऑपरेटरों के लिए किसी कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की गई है।

हादसे का शिकार हुई इस उड़ान की कमान 56 वर्षीय सुमित सभरवाल के पास थी। वह एअर इंडिया में एक वरिष्ठ पायलट थे और उन्हें 30 वर्षों का अनुभव था। उनके पास कुल 15,638 घंटे उड़ान का अनुभव था, जिनमें से 8,596 घंटे बोइंग 787 पर उड़ान के थे। वह एअर इंडिया के एक प्रशिक्षक भी थे। उनके सह-पायलट 32 वर्षीय क्लाइव कुंदर थे, जिनके पास कुल 3,403 घंटे की उड़ान का अनुभव था, जिसमें से 1,128 घंटे ड्रीमलाइनर पर उड़ान के थे।

कुंदर उस उड़ान के दौरान ‘पायलट फ्लाइंग’ थे, जबकि सभरवाल ‘पायलट मॉनिटरिंग’ की भूमिका में थे।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उड़ान से पहले चालक दल ने ‘ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट’ पास किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वे उड़ान भरने से पहले गेट पर लगे सीसीटीवी में भी दिखे थे।

बारह जून की दुर्घटना भारत में लगभग तीन दशकों में सबसे भीषण विमान दुर्घटना और उद्योग में 11 वर्षों में सबसे घातक दुर्घटना थी। साथ ही यह बोइंग ड्रीमलाइनर से जुड़ी पहली घातक दुर्घटना थी।

जांच ब्रिटेन की ‘एयर एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्रांच’ और यूनाइटेड स्टेट (अमेरिका) नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड की सहायता से की गई।

विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों के लिए ईंधन स्विच को अनजाने में चालू या बंद करना मुश्किल होता है क्योंकि स्विच में एक छोटा ‘मैकेनिकल गेट’ लगा होता है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि रिपोर्ट में कॉकपिट कैमरा फुटेज का कोई संदर्भ क्यों नहीं दिया गया।

ईंधन स्विच ऐसे उपकरण होते हैं जो हवाई जहाज के इंजन में ईंधन के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। पायलट जमीन पर या उड़ान के दौरान इंजन खराब होने की स्थिति में इंजन चालू या बंद करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। स्प्रिंग-लोडेड होते हैं ताकि अपनी स्थिति में बने रहे। ईंधन की आपूर्ति बदलने के लिए, पायलट को पहले स्विच को ऊपर खींचना होता है और फिर उसे ‘रन’ से ‘कटऑफ’ या ‘कटऑफ’ से ‘रन’ की ओर ले जाना होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विमान ने भारतीय समयानुसार अपराह्न एक बजकर 38 मिनट 42 सेकंड पर अधिकतम दर्ज की गई गति 180 नॉट्स आईएएस हासिल की और इसके तुरंत बाद, इंजन एक और इंजन दो, दोनों के ईंधन ‘कटऑफ स्विच’ एक सेकंड के अंतराल पर ‘रन’ से ‘कटआफ’ स्थिति में चले गए।

रिपोर्ट के अनुसार, इंजन एन1 और एन2 की ईंधन आपूर्ति बंद हो जाने के कारण उनकी क्षमता में गिरावट आनी शुरू हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कॉकपिट की आवाज रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता सुनाई देता है कि उसने ईंधन क्यों बंद किया। दूसरा पायलट जवाब में कहता है कि उसने ऐसा नहीं किया।’’

सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि उड़ान भरने के तुरंत बाद रैम एयर टर्बाइन (आरएटी) का इस्तेमाल किया गया जिससे इंजन से शक्ति की हानि का संकेत मिलता है।

आरएटी का उपयोग सामान्य रूप से तब किया जाता है जब विमान को ‘पावर’ की आवश्यकता होती है और इसके मुख्य ‘पावर’ स्रोत (जैसे इंजन या विद्युत प्रणाली) विफल हो जाते हैं।

रिपोर्ट में उड़ान डेक पर दोनों पायलटों के बीच बातचीत की केवल सीमित तस्वीर ही उपलब्ध कराई गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटना स्थल पर दोनों ईंधन स्विच चालू स्थिति में पाए गए थे तथा यह दुर्घटना से पहले दोनों इंजनों को कम ऊंचाई पर पुनः शुरू किये जाने का संकेत देता है।

रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने भारतीय समयानुसार अपराह्न एक बजकर 38 मिनट 39 सेकंड पर उड़ान भरी और एक बजकर 39 मिनट 05 सेकंड पर एक पायलट ने ‘मे डे- मे डे- मे डे’ संदेश दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘एयर ट्रैफिक कंट्रोलर’ (एटीसीओ) ने पायलट से ‘कॉल साइन’ पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि उसने विमान को हवाई अड्डे की सीमा से बाहर दुर्घटनाग्रस्त होते देखा और तुरंत आपातकालीन प्रक्रिया सक्रिय की।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, ईंधन के नमूनों का परीक्षण नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की प्रयोगशाला में किया गया और वे संतोषजनक पाए गए।

उम्मीद जतायी जा रही थी कि प्रारंभिक रिपोर्ट दुर्घटना के संभावित कारणों पर अधिक प्रकाश डालेगी जो भारत में दशकों में हुई सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से एक थी और यह बोइंग 787 विमान से जुड़ी पहली दुर्घटना थी जिसमें विमान का ढांचा नष्ट हुआ।

एएआईबी ने कहा कि ड्रोन फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी सहित मलबा स्थल की गतिविधियां पूरी हो चुकी हैं और मलबे को हवाई अड्डे के पास एक सुरक्षित क्षेत्र में ले जाया गया है।

एएआईबी ने कहा, ‘‘दोनों इंजनों को मलबे स्थल से निकाल लिया गया है और हवाई अड्डे के एक हैंगर में अलग रखा गया है। आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण घटकों की पहचान कर उन्हें अलग रखा गया है।’

एएआईबी प्रारंभिक सुरागों के आधार पर अतिरिक्त विवरण एकत्र कर रहा है और इन्हान्स्ड एयरबोर्न फ़्लाइट रिकॉर्डर (ईएएफआर) से डाउनलोड किए गए डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जांच के इस चरण में, बी787-8 और/या जीई जीईएनएक्स-1बी इंजन संचालकों और निर्माताओं के लिए किसी कार्रवाई की अनुशंसा नहीं है।’’

दुर्घटनाग्रस्त विमान जीईएनएक्स-1बी इंजन चालित था।

जांचकर्ताओं ने गवाहों और जीवित बचे यात्री के बयान प्राप्त कर लिए हैं।

एएआईबी ने कहा कि चालक दल और यात्रियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का पूरा विश्लेषण किया जा रहा है ताकि एयरोमेडिकल निष्कर्षों को इंजीनियरिंग मूल्यांकन के साथ पुष्ट किया जा सके।

जांच जारी है और जांच दल हितधारकों से प्राप्त अतिरिक्त साक्ष्यों, अभिलेखों और सूचनाओं की समीक्षा और जांच करेगा।

विमान में 230 यात्री सवार थे – 15 बिजनेस क्लास में तथा इकोनॉमी क्लास में दो शिशु सहित 215 यात्री थे।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

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