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Sunday, July 13, 2025

1984 पुल बंगश गुरुद्वारा मामले के गवाह ने टाइटलर को ‘गलत तरह से’ फंसाने से इनकार किया

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नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में एक प्रमुख गवाह ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या सिख नेताओं ने उस पर कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को ‘गलत तरह से’ फंसाने का दबाव नहीं डाला था।

इससे पहले शुक्रवार को, दंगों के दौरान उत्तरी दिल्ली के गुरुद्वारे में आग लगाने वाली भीड़ द्वारा तीन लोगों की हत्या की प्रत्यक्षदर्शी हरपाल कौर बेदी ने गवाही दी थी कि उन्होंने टाइटलर को भीड़ को उकसाते और उनसे ‘सिखों को लूटने और जान से मारने’ के लिए कहते देखा था।

70 वर्षीय महिला प्रत्यक्षदर्शी ने विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह के समक्ष यह भी दावा किया था कि वह अपने इकलौते बेटे की जान जाने के डर से चुप रहीं और अपने बेटे की मौत के बाद 2016 में पहली बार सीबीआई को टाइटलर का नाम बताया।

टाइटलर के वकील द्वारा शनिवार को जिरह के दौरान बेदी ने कहा, ‘‘यह कहना गलत है कि सीबीआई या सिख समुदाय के नेताओं ने मुझ पर जगदीश टाइटलर का नाम लेने के लिए दबाव डाला ताकि उन्हें गलत तरह से फंसाया जा सके।’’

कौर ने कहा था, ‘‘यह कहना भी गलत है कि मेरी पूरी गवाही आरोपी जगदीश टाइटलर को मामले में फंसाने की एक जानबूझकर की गई कोशिश है। यह कहना भी गलत है कि मेरी गवाही झूठी और मनगढ़ंत है।’’

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को एक अन्य गवाह के बयान दर्ज करने के लिए निर्धारित की है।

सीबीआई ने 20 मई, 2023 को इस मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को ‘उकसाया और भड़काया’ जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जला दिया गया और तीन सिखों – ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या कर दी गई।

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में यह भी कहा था कि टाइटलर एक नवंबर, 1984 को गुरुद्वारे के सामने एक सफेद एम्बेसडर कार से उतरे और यह चिल्लाते हुए भीड़ को उकसाया कि ‘‘सिखों को जान से मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला’’ है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर, 1984 को की गई हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।

भाषा

संतोष वैभव

वैभव

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