नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश में 18,000 मेगावाट की पनबिजली परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इन परियोजनाओं में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इनमें से 2,620 मेगावाट की पांच परियोजनाएं राज्य सरकार द्वारा नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको) को, 5,097 मेगावाट की पांच परियोजनाएँ सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) को और 3,800 मेगावाट क्षमता वाली दो परियोजनाएं एनएचपीसी को आवंटित की गई हैं।
खांडू ने कहा, ‘‘फिलहाल, कुल 18,000 मेगावाट पनबिजली उत्पादन के लिए काम चल रह रहा है। आने वाले दिनों में, हम और परियोजनाएं जोड़ेंगे। इन सभी परियोजनाओं में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।’’
उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं पहले निजी क्षेत्र के डेवलपर्स को आवंटित की गई थीं, लेकिन विभिन्न कारणों से शुरू नहीं हो पाई थीं। इसलिए, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सुस्त पड़ी परियोजनाओं को गति देने के लिए पनबिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को इसमें शामिल करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, ‘‘डेवलपर्स की ओर से किसी तरह की पहल नहीं होने की वजह से ये परियोजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित थीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री बनने के बाद, मैंने सभी परियोजनाओं की समीक्षा की और उन्हें रद्द कर दिया। मैंने केंद्र सरकार से कहा कि जलविद्युत या पनबिजली परियोजना का मतलब बड़ा निवेश होता है। निजी कंपनियां इन्हें लागू करने की स्थिति में नहीं हैं। केवल भारत सरकार को ही पहल करनी चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले प्रधानमंत्री के साथ एक बैठक की और उसके बाद केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों – एनएचपीसी, नीपको और एसजेवीएन के साथ बेसिन आधार पर समझौते किए।
उन्होंने कहा कि जहां-जहां परियोजना की तत्काल संभावना थी, राज्य सरकार ने पिछले साल 13,000 मेगावाट के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने कहा कि इनके अलावा 2,000 मेगावाट की लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना से अगले साल बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया, ‘‘एक अन्य परियोजना लोअर सुबनसिरी से भी बड़ी है। इस परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना से 2,880 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।’’
खांडू ने बताया कि परिचालन में आने के बाद लोअर सुबनसिरी देश का सबसे बड़ा पनबिजली उत्पादन संयंत्र होगा।
इसके बाद, प्रस्तावित 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना के 2032 में चालू होने की उम्मीद है। इसमें लगभग 288 मीटर ऊंचा देश का सबसे ऊंचा बांध भी होगा।
अरुणाचल प्रदेश में पांच प्रमुख नदी घाटियां हैं — कामेंग, सुबनसिरी, सियांग, दिबांग और लोहित।
सरकार द्वारा किए गए व्यापक अध्ययनों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की पनबिजली क्षमता लगभग 67,000 मेगावाट आंकी गई है। हालांकि, इस विशाल क्षमता का अभी तक दोहन नहीं हुआ है।
प्रमुख नदी प्रणालियों के अलावा, राज्य में कई छोटी से मध्यम आकार की नदियां भी हैं, जहां पनबिजली उत्पादन के लिए अनुकूल स्थितियां हैं।
भाषा अजय अजय
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