नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और फार्मास्युटिकल्स ने 2024-25 में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत कुल वितरण का 70 प्रतिशत हासिल किया है।
यह योजना 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को समर्थन देने के लिए 2021 में शुरू की गई थी।
वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार ने पीएलआई के तहत कुल 10,114 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की पीएलआई कंपनियों को इसमें से सबसे ज्यादा 5,732 करोड़ रुपये की राशि मिली है। इसके बाद दवा क्षेत्र की कंपनियों को 2,328 करोड़ रुपये मिले हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में पीएलआई के तहत वितरण 9,721 करोड़ रुपये रहा था। ये आंकड़े इन क्षेत्रों में भारत की मजबूत ताकत तथा विनिर्माण और मूल्य वर्धित निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों को दर्शाते हैं।
पिछले वित्त वर्ष में जिन अन्य क्षेत्रों को पीएलआई के तहत प्रोत्साहन मिला है उनमें थोक दवा (22 करोड़ रुपये), चिकित्सा उपकरण (77 करोड़ रुपये), दूरसंचार (840 करोड़ रुपये), खाद्य प्रसंस्करण (448 करोड़ रुपये), एसी-फ्रिज (210 करोड़ रुपये), वाहन (322 करोड़ रुपये), विशेष इस्पात (48 करोड़ रुपये), कपड़ा (40 करोड़ रुपये) और ड्रोन (35 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में पीएलआई ने घरेलू विनिर्माण और निर्यात को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देने में मदद की है। अब, यह क्षेत्र उन शीर्ष तीन उत्पाद श्रेणियों में शामिल है जिनका भारत वैश्विक स्तर पर निर्यात करता है।
देश के इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में सबसे ज्यादा 32.46 प्रतिशत की वृद्धि दर देखी गई है। इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात 2023-24 के 29.12 अरब डॉलर से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 38.58 अरब डॉलर हो गया। यह 2022-23 में 23.6 अरब डॉलर और 2021-22 में 15.7 अरब अमेरिकी डॉलर था।
भाषा अजय अजय
अजय