(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) हाल में छोटी (स्मॉल कैप) और मझोली कंपनियों (मिडकैप) के शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के बीच बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ‘स्मॉलकैप’ और ‘मिडकैप’ फंड भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं लेकिन उपयुक्त कंपनियों और कीमत के स्तर पर सही मूल्यांकन का चुनाव करना जरूरी है।
उनका यह भी कहना है कि किसी शेयर की अस्थिरता या जोखिम को मापने वाला मिड और स्मॉल कैप का ‘बीटा’ प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 के मुकाबले एक से भी कम है, जो बताता है कि ये उतने अस्थिर नहीं हैं जितना माना जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 100 कंपनियों को लार्जकैप, 101 से 250 कंपनियों को मिडकैप 251 से ऊपर की सूची वाली इकाइयों को स्मॉलकैप की श्रेणी में रखा जाता है। जहां लार्जकैप कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग 20,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक होता है, वहीं मिडकैप कंपनियों का लगभग 5,000 करोड़ रुपये से लेकर 20,000 रुपये के बीच और छोटी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5,000 करोड़ रुपये से कम होता है।
हाल में यह देखा गया है कि मध्यम और छोटी कंपनियों के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है और इसमें निवेश करने वाले निवेशकों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है। कई विशेषज्ञों ने लोगों को ऐसी कंपनियों से दूर रहने की भी सलाह दी है।
इस बारे में वाइट ओक कैपिटल एएमसी के निदेशक और बिक्री प्रमुख वैभव चुघ ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘ जोखिम निवेश के लिए चुनी गयी कंपनियों में है, बाजार में नहीं। जब निवेशक हाल में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियों में भारी निवेश करने के लिए पहले के रिटर्न के पीछे भागते हैं और यह मान लेते हैं कि भविष्य में भी रिटर्न ऐसा ही होगा, तो निराशा हाथ लगती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बाजार तो अपने हिसाब से व्यवहार करेगा, लेकिन निवेश पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करने के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी राय में, स्मॉल और मिडकैप फंड भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, लेकिन सही कंपनियों और मूल्यांकन का चुनाव करना जरूरी है…।’’
यह पूछे जाने पर कि शेयर बाजार के निवेशकों के लिए बड़ी (लार्ज कैप) मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में से किसमें निवेश करना बेहतर है, आनंद राठी वेल्थ लि. के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख (उत्पाद और शोध) चेतन शेनॉय ने कहा, ‘‘निवेशकों को पता होना चाहिए कि प्रत्येक श्रेणी की उनके पोर्टफोलियो में एक अलग भूमिका है। लार्ज-कैप यानी बड़ी कंपनियों के शेयर अपनी स्थिरता, मजबूत वित्तीय स्थिति और आर्थिक उतार-चढ़ाव में बेहतर तरीके से प्रबंधित करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ये निवेशक के निवेश पर जोखिम को कम करने के साथ स्थिर वृद्धि प्रदान करने के लिए आदर्श हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहीं मिड-कैप शेयर वृद्धि और जोखिम का अच्छा मिश्रण प्रदान करते हैं। ये अक्सर बाजार में तेजी के समय अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन गिरावट के दौरान थोड़े अस्थिर हो सकते हैं। वहीं स्मॉल-कैप शेयर में वृद्धि की उच्च संभावना होती है, लेकिन बाजार में गिरावट के दौरान ये तेजी से गिर सकते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि बीएसई स्मॉल कैप ने वित्त वर्ष 2024-25 में सबसे ज्यादा 4.91 प्रतिशत रिटर्न दिया। वहीं बीएसई मिड कैप ने 3.91 प्रतिशत और बीएसई लार्ज कैप ने 3.3 प्रतिशत रिटर्न दिया। लेकिन फरवरी, 2025 में भारी उतार-चढ़ाव के दौरान, तीनों श्रेणियों में भारी गिरावट देखी गई। लार्ज कैप में 6.6 प्रतिशत, मिड कैप में 7.1 प्रतिशत और स्मॉल कैप में 15 प्रतिशत की गिरावट आई।
शेनॉय के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में हालात बेहतर दिख रहे हैं। लार्ज कैप में लगभग 10 प्रतिशत, मिड कैप में करीब 14 प्रतिशत और स्मॉल कैप में अब तक 17.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल, वैश्विक स्तर पर तनाव और कंपनियों की कमजोर आय के कारण शेयर बाजार का प्रदर्शन हल्का रहा। इस साल कंपनियों की आय में सुधार दिख रहा है, जिससे बाजार को सहारा मिल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि मिड और स्मॉल कैप उतने जोखिम भरे नहीं होते जितने लगते हैं। निफ्टी 50 के मुकाबले मिड और स्मॉल कैप का बीटा एक से भी कम है, जो बताता है कि ये उतने अस्थिर नहीं हैं जितना माना जाता है।’’
निवेश के संदर्भ में, ‘बीटा’ बाजार के सापेक्ष किसी शेयर की अस्थिरता या जोखिम का मापता है। यह बताता है कि किसी शेयर की कीमत समग्र बाजार की तुलना में कितनी बढ़ने की संभावना है। एक बीटा का अर्थ है कि शेयर की कीमत बाजार के साथ बदलती रहती है। वहीं एक से अधिक बीटा का अर्थ है कि शेयर बाजार की तुलना में अधिक अस्थिर है और एक से कम बीटा का अर्थ है कि यह कम अस्थिर है।
एक सवाल के जवाब में चुघ ने कहा, ‘‘बड़ी, मझोली और छोटी कंपनियों में निवेश का मतलब बुनियादी तौर पर मजबूत कंपनियों को तलाशना और उचित निवेश आवंटन करना है। मिडकैप, स्मॉल कैप या लार्ज कैप में कितना निवेश करना है, यह व्यक्ति की जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश आवंटन पर निर्भर करता है।’’
आनंद राठी के शेनॉय ने कहा, ‘‘हम लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में 55:23:22 के अनुपात में निवेश करने की सलाह देते हैं। इससे तीनों खंडों में निवेश होता है और यह सुनिश्चित होता है कि निवेशक लार्ज-कैप के ज़रिये स्थिरता बनाए रखते हुए विकास से वंचित न रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मिश्रण निवेशकों को बाजार के सभी चरणों में निवेश में बने रहने में मदद करता है और साथ ही लंबी अवधि में बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न भी देता है।’’
बजाज फिनसर्व एएमसी के प्रमुख (इक्विटी) सॉर्भ गुप्ता ने कहा, ‘‘वर्तमान परिदृश्य में, जहां भारतीय बाजार वैश्विक स्तर पर बदलते घटनाक्रमों और व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के कारण अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं, निवेशकों के लिए एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाना आवश्यक है। इससे न केवल जोखिम कम करने में मदद मिलती है, बल्कि निवेशकों को प्रत्येक बाजार खंड में प्रस्तुत विविध अवसरों का लाभ उठाने का अवसर भी मिलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर, स्मॉल और मिड-कैप कंपनियां अपने विकास के शुरुआती चरणों में होती हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे वे अल्पकालिक अस्थिरता के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। इसलिए, ये उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो निरंतर, अनुशासित और दीर्घकालिक स्थायी पूंजी सृजन पर ध्यान देते हैं।’’
एक सवाल के जवाब में शेनॉय ने कहा, ‘‘ अधिकांश निवेशकों के लिए, विविधीकृत और संतुलित पोर्टफोलियो के लिए एक संतुलित म्यूचुअल फंड चुनना अधिक अच्छा होता है। म्यूचुअल फंड विविधीकरण, पेशेवर प्रबंधन और बाजार पूंजीकरण में जोखिम-समायोजित जोखिम का लाभ प्रदान करते हैं।’’
भाषा रमण
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