(बिजय कुमार सिंह)
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) भारत को एक क्षेत्रीय ‘ट्रांसशिपमेंट’ शक्ति बनाने के लिए सरकार की नीतिगत पहल के तहत प्रमुख बंदरगाहों ने 14 मीटर का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। दूसरी ओर कामराजर, पारादीप और दीनदयाल जैसे बंदरगाह बड़े जलपोतों को समायोजित करने के लिए 18 मीटर का ड्राफ्ट तैयार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
पोत परिवहन सचिव टी के रामचंद्रन ने रविवार को यह जानकारी दी।
ड्राफ्ट पानी की रेखा और जहाज के पतवार के तल के बीच की ऊर्ध्वाधर दूरी को दर्शाता है। ट्रांसशिपमेंट का अर्थ है कि एक जहाज से दूसरे जहाज में या परिवहन के एक साधन से दूसरे साधन में माल को स्थानंतारित करना।
भारतीय बंदरगाहों के लिए ट्रांसशिपमेंट ऐतिहासिक रूप से पिछड़ा रहा है, क्योंकि भारत का 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट कार्गो कोलंबो, सिंगापुर और पोर्ट क्लैंग जैसे विदेशी केंद्रों से होकर जाता है।
रामचंद्रन ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘प्रमुख बंदरगाहों ने 14 मीटर का ड्राफ्ट हासिल कर लिया है, जबकि कामराजर, पारादीप और दीनदयाल जैसे बंदरगाह बड़े जहाजों को समायोजित करने के लिए 18 मीटर के ड्राफ्ट की ओर बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में आगामी वधावन बंदरगाह को 20 मीटर के प्राकृतिक ड्राफ्ट और 2.3 करोड़ टीईयू के नियोजित कंटेनर संभालने की क्षमता के साथ एक विश्वस्तरीय विशाल बंदरगाह के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह शीर्ष 10 वैश्विक कंटेनर बंदरगाहों में शामिल होगा।”
भाषा पाण्डेय अजय
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