जोधपुर, 13 जुलाई (भाषा) राजस्थान के सरकारी स्कूलों को नए सत्र की शुरुआत में पौधारोपण अभियान की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह शिक्षकों व विद्यार्थियों को सरकार के एक पौधारोपण अभियान के दैनिक और मासिक लक्ष्यों को पूरा करने का काम सौंपा जाना है।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने ‘‘हरियालो राजस्थान – एक पेड़ मां के नाम’’ मिशन के तहत 10 जुलाई से 10 अगस्त के बीच 25 करोड़ पौधे लगाने का निर्देश दिया है।
आदेश के अनुसार, उच्च प्राथमिक कक्षाओं तक के प्रत्येक विद्यार्थी को प्रतिदिन 10 पौधे लगाने होंगे, जबकि प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए प्रतिदिन 15 पौधे लगाने का लक्ष्य है और शिक्षकों को प्रतिदिन 15 पौधे लगाने होंगे।
जोधपुर के उपनगरीय क्षेत्र के एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने अभियान पर सवाल करते हुए कहा कि ‘‘क्या यह किसी भी तरह से व्यावहारिक लगता है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘पौधा लगाना हमारे समय की जरूरत है, लेकिन इतना कठिन लक्ष्य और उसे हासिल करने का दबाव बेमानी है और इससे नियमित काम प्रभावित होता है।’’
उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में पौधारोपण के लिए जगह ही नहीं है।
इससे स्कूल का नियमित काम और प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित होते हैं, क्योंकि अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मनाना मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा, आदेश के अनुसार स्कूलों को खुदाई से लेकर पौधारोपण तक की पूरी गतिविधि शिक्षकों को एक ‘ऐप’ पर अपलोड करनी होगी।
शिक्षकों को गड्ढा खोदने के लिए जगह ढूंढ़ने, पौधों को व्यवस्थित करने और फिर यह सुनिश्चित करने की भी चिंता है कि पौधे जीवित रहें, जबकि किसी भी व्यवस्था के लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया है।
सरकारी पौधशाला में इतनी बड़ी संख्या में पौधों की उपलब्धता भी चिंता का विषय है।
शहर के एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के एक शिक्षक ने भी आदेश की ‘‘व्यावहारिकता’’ पर सवाल उठाया और पूछा कि शहरी क्षेत्रों के स्कूलों को इस तरह के पौधरोपण अभियान के लिए पर्याप्त जगह कहां मिलेगी?
राजस्थान शिक्षक संघ (अजमेर संभाग) के मीडिया प्रभारी कालू राम ने पूछा कि क्या शिक्षकों को स्कूल चलाना और पढ़ाना है या गड्ढे खोदते और पेड़ लगाते हुए नजर आना है?
उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की गई है और विवेकपूर्ण योजना के अभाव में, यह पूरी प्रक्रिया उद्देश्यहीन साबित होगी।’’
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि स्कूल कर्मचारियों को अभिभावकों को समझाने में मुश्किल होगी, जिनमें से कई पहले से ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने में रुचि नहीं रखते हैं।
पर्यावरणविद् और वृक्षारोपण अभियान के समर्थक राम निवास ने इस आदेश को आत्म-प्रशंसा का प्रयास बताया और कहा कि यह आदेश पर्यावरण संबंधी चिंताओं का ‘‘मजाक’’ और शिक्षकों का ‘‘शोषण’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आदेश पूरी तरह से अव्यावहारिक और मनमाना है, जिससे इस समय स्कूल का नियमित कामकाज बाधित होगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों को चुन सकती थी जो पहले से ही वृक्षारोपण कार्य में लगे हुए थे।
भाषा सं कुंज
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