(जलीस रहमान, इलिनोइस विश्वविद्यालय, शिकागो)
शिकागो, 13 जुलाई (द कन्वरसेशन) ट्यूमर मांसपेशियों के रक्त वाहिकाओं को नष्ट कर सकते हैं, भले ही मांसपेशियां ट्यूमर के पास न हों। यह एक नए अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष है, जिसे मेरे सहयोगियों और मैंने हाल ही में जर्नल ‘नेचर कैंसर’ में प्रकाशित किया।’
कैंसर रोगियों में मांसपेशियों की कमजोरी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन ट्यूमर मांसपेशियों को कैसे प्रभावित करते हैं, यह विषय अब भी शोध का विषय है।
मेरी प्रयोगशाला में वैज्ञानिक यह जानने को उत्सुक थे कि क्या कैंसर रोगियों में मांसपेशियों की कमजोरी का एक कारण यह हो सकता है कि कैंसर उन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जो मांसपेशियों तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जरूरी होती हैं।
स्वस्थ रक्त वाहिकाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से युक्त रक्त हृदय से शरीर के सभी ऊतकों और अंगों तक पहुंचे और फिर वापस हृदय की तरफ संचारित हो।
अस्वस्थ रक्त वाहिकाएं पर्याप्त मात्रा में रक्त संचारित करने की क्षमता खो देती हैं और उनमें रिसाव होने लगता है, जिससे पोषक तत्व समय से पहले ही ऊतकों में रिसने लगते हैं और इस प्रकार आगे के ऊतकों तक पोषक तत्वों की आपूर्ति रुक जाती है।
इसका समाधान खोजने के लिए, मेरे सहयोगियों और मैंने उन्नत माइक्रोस्कोपी, कैंसर अनुसंधान और चयापचय में विशेषज्ञता रखने वाली कई अन्य वैज्ञानिक शोध टीम के साथ मिलकर काम किया।
हमने पशु आधारित मॉडल का उपयोग करके कई प्रकार के ट्यूमर जैसे फेफड़ों का कैंसर, त्वचा का कैंसर, आंत का कैंसर और अग्न्याशय का कैंसर का अध्ययन किया।
हमने लगातार यह गौर किया कि मांसपेशियों में कमजोरी आने से पहले ही वहां की रक्त वाहिकाएं नष्ट होने लगीं और उनमें रिसाव होने लगा।
हमने यह भी पाया कि ट्यूमर ‘एक्टिविन-ए’ नाम का प्रोटीन पैदा करता है, जिसके असर से रक्त वाहिकाओं में रिसाव होने लगता है और यह अंततः मांसपेशियों में रक्त वाहिकाओं की कमी का कारण बनता है।
हमने जीन थेरेपी का उपयोग कर ‘एक्टिविन-ए’ के प्रभाव को रोका और रक्त वाहिकाओं का उपचार किया, जिससे हमें मांसपेशियों की कमजोरी को रोकने में सफलता मिली।
इसलिए हमने उन कैंसर मरीजों की मांसपेशियों की जांच की, जिनकी मृत्यु कैंसर के कारण हुई और पाया कि उनकी मांसपेशियों में अपेक्षा से कम रक्त वाहिकाएं थीं।
‘एक्टिविन-ए’ क्यों महत्वपूर्ण है?
कैंसर से ठीक हो चुके लाखों लोग मांसपेशियों की कमजोरी से जूझते हैं। यह कमजोरी इतनी गंभीर हो सकती है कि उनके लिए कुछ सीढ़ियां चढ़ने या अकेले बाहर जाना परेशानी दे सकता है।
कैंसर से जूझने के दौरान होने वाली गंभीर मांसपेशियों की कमजोरी और मांसपेशियों के नष्ट होने को ‘कैंसर कैक्शेक्सिया’ कहा जाता है। गंभीर चरण वाले 80 प्रतिशत कैंसर मरीजों में ‘कैंसर कैक्शेक्सिया’ पाया जाता है।
हालिया शोध से पता चला है कि कैंसर रोगियों में ‘कैक्शेक्सिया’ पहले की तुलना में कहीं अधिक आम हो गया है। कैंसर चिकित्सकों के पास पहली बार उपचार के लिए पहुंचने वाले लगभग आधे मरीजों में ‘कैक्शेक्सिया’ के लक्षण पाये जाते हैं।
अहम बात यह है कि कैंसर के सफलतापूर्वक इलाज के बाद भी ‘कैक्शेक्सिया’ की समस्या बनी रह सकती है, जिसके कारण ठीक हो चुके मरीजों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
हमने पता लगाया कि कैंसर के बढ़ने के दौरान शुरुआत में ही मांसपेशियों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित होने लगती हैं और कैंसर मरीजों व उससे ठीक हो चुके लोगों में रक्त वाहिकाओं का उपचार करना ‘कैक्शेक्सिया’ को रोकने या उसे उपचारित करने का एक नया तरीका हो सकता है।
कैंसर के दौरान मांसपेशियों के कमजोर होने के कारणों में भूख न लगने से पोषण की कमी होना और सूजन शामिल हैं। ये समस्याएं शुरुआत में ट्यूमर के कारण होती हैं, लेकिन ट्यूमर खत्म होने के बाद भी बनी रहती हैं।
और क्या शोध हो रहे हैं?
वर्तमान में ‘कैक्शेक्सिया’ का ऐसा कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, जिसे खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा मंजूरी मिली हो लेकिन नए उपचार सामने आ रहे हैं।
ऐसी ही एक उपचार पद्धति ‘एंटीबॉडी’ दवा है, जो ‘जीडीएफ-15’ अणु को लक्षित करती है। ‘जीडीएफ-15’ एक प्रोटीन है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह भूख को नियंत्रित करता है।
अन्य अध्ययन में पोषण और व्यायाम के जरिए इसे उपचारित करने का प्रयास किया जा रहा है कि ताकि ‘कैंसर कैक्शेक्सिया’ से पीड़ित मरीजों को मांसपेशियों का आकार और उनकी ताकत वापस हासिल करने में मदद मिल सके।
द कन्वरसेशन
खारी दिलीप
दिलीप