नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) राजनीतिक विश्लेषक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राम माधव ने कहा है कि बदलती वैश्विक व्यवस्था के दौर में भारत को अपनी विदेश नीति के मद्देनजर ‘डी-हाइफनेशन’ और रणनीतिक स्वायत्तता जैसे दोहरे सिद्धांतों को मजबूती से बनाए रखना होगा, ताकि वह विभिन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सके।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राम माधव ने अपनी नयी पुस्तक ‘द न्यू वर्ल्ड : 21वीं सेंचुरी ग्लोबल ऑर्डर एंड इंडिया’ में यह बात कही है।
‘डी-हाइफनेशन’ की नीति से अभिप्राय दो देशों के साथ स्वतंत्र रूप से व्यवहार करने की परिपाटी से है भले ही वे एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हों।
माधव ने अपनी पुस्तक में दुनिया की महान शक्तियों के उत्थान और पतन तथा उनके द्वारा निर्मित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर लिखा है।
उन्होंने वैश्विक प्रणाली के भीतर शक्ति संतुलन में भारत की उभरती भूमिका की भी कल्पना की है।
माधव ने 2014 से 2020 तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और 2024 में जम्मू-कश्मीर चुनाव के पार्टी प्रभारी के रूप में कार्य किया।
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति व्यावहारिक होनी चाहिए और राष्ट्रीय हितों के साथ मिश्रित होनी चाहिए।
माधव ने अपनी पुस्तक में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा विदेश नीति में अधिक यथार्थवादी सिद्धांतों को अपनाने की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इसमें ‘डी-हाइफनेशन’ और ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ जैसे सिद्धांतों को नयी विदेश नीति की मुख्य धारा का हिस्सा बनाया गया है। यह रुख दर्शाता है कि भारत अब बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुसार अधिक संतुलित और स्वायत्त विदेश नीति की दिशा में आगे बढ़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने ‘डी-हाइफनेशन’ नीति के तहत यह स्पष्ट किया है कि वह अब किसी भी देश के साथ अपने संबंधों को किसी अन्य तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखेगा। इसका अर्थ यह है कि भारत अब प्रत्येक देश के साथ अपने रिश्तों को स्वतंत्र, संतुलित और द्विपक्षीय आधार पर परिभाषित करेगा।
माधव ने कहा कि यह विदेश नीति में भारत की रणनीतिक परिपक्वता और आत्मनिर्भर सोच का संकेत है।
नयी दिल्ली स्थित विचारक समूह ‘इंडिया फाउंडेशन’ के अध्यक्ष राम माधव ने कहा है कि भारत ने केवल अलगाव नीति को ही नहीं अपनाया, बल्कि उससे आगे बढ़कर रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांत को भी विकसित किया है। उनके अनुसार, विदेश नीति को लेकर यह नयी सोच भारत को वैश्विक मंच पर अधिक स्वतंत्र और प्रभावी भूमिका निभाने में सक्षम बनाती है।
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