ढाका, 13 जुलाई (भाषा) बांग्लादेश में एक कबाड़ व्यापारी की हत्या के सिलसिले में अब तक कम से कम सात व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और रविवार को देशव्यापी तलाश अभियान शुरू किया गया। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने यह जानकारी दी।
‘प्रथम आलो’ के अनुसार, चौधरी ने कहा कि यह अभियान नौ जुलाई को मिटफोर्ड अस्पताल के पास लाल चंद उर्फ सोहाग की जघन्य हत्या के बाद कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा चुनाव पूर्व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मिटफोर्ड में हुई हत्या अत्यंत दुखद और बर्बर है। सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं के लिए कोई जगह नहीं है।’’ उन्होंने बताया कि पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) ने शनिवार रात इस मामले में दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया।
उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियां अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उनकी राजनीतिक पहचान कुछ भी हो।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का मानना है कि अपराधी अपराधी होते हैं। किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा, उसकी राजनीतिक संबद्धता चाहे जो भी हो। किसी भी अपराधी को पनाह नहीं मिलेगी।’’
चौधरी ने कहा कि मिटफोर्ड हत्याकांड को त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण में स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
इस घटना के बृहस्पतिवार को सामने आये वीडियो में व्यापारिक विवाद के बाद मिटफोर्ड अस्पताल के पास रजनी घोष लेन में कबाड़ विक्रेता की कंक्रीट के स्लैब से हमला करके हत्या करते हुए दिखाया गया। उसकी मौत होने की पुष्टि होने के बाद, हमलावर उसके शरीर पर नाचते रहे।
पुलिस ने पहले इस घटना में कथित संलिप्तता के लिए पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था।
हत्या में सीधे तौर पर शामिल टिटन गाजी पांच दिन की पुलिस हिरासत में है।
इस घटना से पूरे बांग्लादेश में आक्रोश फैल गया। शनिवार को सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतर आए और अंतरिम सरकार पर भीड़ हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।
इस महीने की शुरुआत में ऐसी ही एक और घटना में, मध्य कुमिला के मुरादनगर इलाके में एक महिला और उसके बेटे और बेटी की नशीले पदार्थ के कारोबार में कथित संलिप्तता के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
अगस्त 2024 के बाद से बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना हिंसक आंदोलन के बाद सत्ता से हट गई थीं।
भाषा अमित दिलीप
दिलीप