नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को एक अध्ययन का हवाला दिया, जो पुष्टि करता है कि वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों में भारत में वन कार्बन सिंक कमजोर हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वनों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि ‘‘ग्लोबल वार्मिंग’’ और जलवायु परिवर्तन के युग में वनों को बहुत महत्व दिया गया है, क्योंकि वे प्राकृतिक कार्बन सिंक हैं।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘अब आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान)-खड़गपुर के दो वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत रिमोट सेंसिंग-आधारित अध्ययन प्रकाशित किया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के कारण भारत में वन कार्बन सिंक कमज़ोर हो रहे हैं। वनों की गुणवत्ता बढ़ाना और उनका संरक्षण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।’
उन्होंने कहा कि हरियाली का मतलब स्वतः ही कार्बन अवशोषण नहीं होता।
रमेश ने कहा, ‘भारत के जैव विविधता से भरपूर प्राकृतिक वन गंभीर खतरे में हैं। हम पूरी तरह से इस गलत धारणा पर अड़े हुए हैं कि प्रतिपूरक वनीकरण, योजनाबद्ध तरीके से वनों के कटाव और अच्छी गुणवत्ता वाले वन नुकसान की भरपाई कर सकता है।’
उन्होंने दावा किया कि वन क्षेत्र के रूप में दर्ज किए गए आधे से ज़्यादा क्षेत्र ‘वास्तव में क्षरित और खराब गुणवत्ता वाले वन’ हैं।
रमेश ने ‘भारत में वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों में पारिस्थितिकी तंत्र की प्रकाश संश्लेषण क्षमता में गिरावट के कारण वन कार्बन भंडार का कमज़ोर होना’ शीर्षक वाले लेख का लिंक भी साझा किया।
भाषा आशीष सुरेश
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