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Monday, July 14, 2025

विधायिका को विश्वास में लिये बिना शराब की दुकानों का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा: अजित पवार

Newsविधायिका को विश्वास में लिये बिना शराब की दुकानों का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा: अजित पवार

पुणे, 13 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि सरकार ने एक नियम बनाया है कि विधायिका को विश्वास में लिये बिना शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे।

इससे पहले दिन में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ‘वित्तीय संकट’ से निपटने के लिए शराब की दुकानों के 328 नये लाइसेंस जारी करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इससे संतों की भूमि शराबखोरी की ओर बढ़ जाएगी और लाखों परिवारों को परेशानी होगी।

पुणे में मीडियाकर्मियों से बातचीत में पवार ने कहा कि जहां तक शराब लाइसेंस का सवाल है, महाराष्ट्र में नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाता है।

पवार ने कहा, ‘‘हमने एक नियम बनाया है कि यदि राज्य में शराब की दुकानों के लाइसेंस दिए जाने हैं, तो ऐसा विधायिका को विश्वास में लिये बिना नहीं किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में शराब की दुकानों के लाइसेंस की संख्या बढ़ रही है, लेकिन महाराष्ट्र इस मामले में नियमों और व्यवस्थाओं का पालन करता है।

उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा, ‘‘हमारा रुख अलग है। अगर किसी दुकान को स्थानांतरित करना होता है, तो हम नियमों के अनुसार ही अनुमति देते हैं और सब कुछ उसी के अनुसार होता है। एक समिति होती है जो ऐसा हर फैसला लेती है। अगर कहीं महिलाएं आपत्ति जताती हैं, तो हम शराब की दुकानें बंद कर देते हैं।’’

उन्होंने कहा कि अगर शराब की दुकानों से जुड़े आरोप सही पाए जाते हैं, तो सरकार कार्रवाई करेगी।

इससे पहले दिन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राकांपा (एसपी) नेता आव्हाड ने कहा कि महाराष्ट्र की शराब नीति से संतों की भूमि शराबखोरी की ओर बढ़ जाएगी और लाखों परिवारों को परेशानी होगी।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार राज्य भर में शराब की 328 नयी दुकानों के लाइसेंस जारी करने की योजना बना रही है, ताकि ‘लाडकी बहिन योजना (जिसके तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये मासिक सहायता मिलती है) जैसी योजनाओं के वित्तीय बोझ से निपटा जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खाली खजाने को भरने के लिए शराब पर आधारित यह नीति परिवारों के साथ विश्वासघात है। लाडकी बहिन को पैसे देने के लिए, यह सरकार भाइयों, पतियों और पिताओं को धोखा देगी। देवेंद्र फडणवीस सरकार जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करने के बजाय शराब के लाइसेंस बेचने के लिए इतिहास में दर्ज होगी।’’

उन्होंने दावा किया कि ज्ञानेश्वर, तुकाराम, तुकडोजी महाराज और गाडगे बाबा जैसे संतों का राज्य शराब और व्हिस्की के बाज़ार में तब्दील होता जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आज, 50 साल पहले रद्द किए गए लाइसेंस एक करोड़ रुपये में बेचे जा रहे हैं, जबकि उनकी कीमत 15 करोड़ रुपये है। मेरे पास 47 कंपनियों के निदेशकों की सूची है, जो (इन लाइसेंस के लिए) मंत्रालय के चक्कर लगा रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो इस भ्रष्ट व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस सरकार को इस बात की परवाह नहीं है कि हर घर में पानी उपलब्ध है या नहीं, लेकिन शराब की पूरी आपूर्ति होनी चाहिए।

अव्हाड ने कहा, ‘‘यदि यही उनकी दृष्टि और शासन का मॉडल है, तो पैसे के लिए गेटवे ऑफ इंडिया को भी बेच दें। जब राज्य सरकार ने 1974 में कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की थी, तो मृणालताई गोरहे, अहिल्याबाई रंगनेकर और मधु दंडवते जैसे दिग्गजों ने एक विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसके कारण सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। पचास साल बाद, यह सरकार फिर से वही सब कर रही है।’’

उन्होंने राज्य के नागरिकों, खासकर महिलाओं, से राज्य सरकार की शराब नीति का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरने का आग्रह किया। उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के ठाणे में येऊर क्षेत्र में प्रतिबंधित क्षेत्रों में शराब की कथित बिक्री का हवाला देते हुए कहा कि आबकारी अधिकारी इस गोरखधंधे में शामिल हैं।

संयोग से, आठ जुलाई को, वित्त एवं राज्य आबकारी विभाग संभालने वाले अजित पवार ने विधानसभा को सूचित किया था कि 1972 के बाद से राज्य में कोई नया शराब लाइसेंस नहीं दिया गया है, हालांकि मौजूदा लाइसेंसों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर उचित प्रक्रिया के बाद स्थानांतरित करने की अनुमति है।

उन्होंने विधानसभा को यह भी बताया कि मौजूदा नियमों के तहत ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जो नगर निगमों को अपने अधिकार क्षेत्र में शराब के लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देता हो।

भाषा अमित सुरेश

सुरेश

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