26.7 C
Jaipur
Monday, July 14, 2025

हिंदुओं में पवित्र शादी का रिश्ता जोड़ों के बीच मामूली विवाद के कारण खतरे में : अदालत

Newsहिंदुओं में पवित्र शादी का रिश्ता जोड़ों के बीच मामूली विवाद के कारण खतरे में : अदालत

मुंबई, 14 जुलाई (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दायर दहेज उत्पीड़न के मामले को खारिज करते हुए कहा, ”हिंदुओं में पवित्र माना जाना वाला शादी का रिश्ता अब जोड़ों के बीच छोटे और मामूली मुद्दों के कारण खतरे में है।”

न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति एमएम नेर्लिकर की नागपुर पीठ ने आठ जुलाई को पारित आदेश में कहा कि वैवाहिक विवादों में अगर जोड़ों का फिर से एक होना संभव नहीं है, तो शादी को तत्काल समाप्त कर दिया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें शामिल पक्षों का जीवन बर्बाद न हो।

पीठ एक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में व्यक्ति ने उसकी अलग रह रही पत्नी की ओर से दिसंबर 2023 में उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

दंपति ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने अपने विवाद को सुलझा लिया है और दोनों को आपसी सहमति से तलाक मिल गया है।

महिला ने अदालत से कहा कि अगर मामला रद्द कर दिया जाता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि वह अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहती है।

उच्च न्यायालय ने मामले को खारिज करते हुए कहा कि हालांकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दहेज निषेध अधिनियम के दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन संबंध से संबंधित प्रावधान समझौता योग्य नहीं हैं, फिर भी न्याय के उद्देश्यों को सुरक्षित करने के लिए अदालतें कार्यवाही को रद्द कर सकती हैं।

पीठ ने कहा कि पति की तरफ के कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने की हालिया प्रवृत्ति को देखते हुए वैवाहिक विवादों को एक अलग पहलू से देखना जरूरी हो गया है।

उसने कहा कि अगर पक्षकार आपसी मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहते हैं और शांतिपूर्वक रहना चाहते हैं, तो अदालत का यह कर्तव्य बनता है कि वह उन्हें प्रोत्साहित करे।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘आजकल विभिन्न कारणों से होने वाली वैवाहिक कलह समाज में एक समस्या बन गई है। दंपति के बीच छोटी-छोटी समस्याएं उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं और हिंदुओं में पवित्र माना जाना वाला शादी का रिश्ता खतरे में है।’’

पीठ ने कहा कि शादी महज एक सामाजिक बंधन नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक मिलन है, जो दो आत्माओं को एक साथ बांधती है।

अदालत ने कहा कि वैवाहिक संबंधों को बेहतर बनाने के इरादे से कई अधिनियम बनाए गए, लेकिन लोग अक्सर उनका दुरुपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, अंतहीन संघर्ष, वित्तीय नुकसान और परिवार के सदस्यों व बच्चों को अपूरणीय क्षति होती है।

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles