नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में लगभग हर पांच में से एक महिला के पास स्वास्थ्य बीमा है। इस क्षेत्र में भारत भी शामिल है। ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
अध्ययन में कहा गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषित इस क्षेत्र की आठ में से एक महिला का सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकन कराया गया है। वहीं, 13 में से केवल एक ने निजी तौर पर या व्यावसायिक तौर पर बीमा खरीदा।
डब्ल्यूएचओ के दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमा और इंडोनेशिया जैसे देश भी शामिल हैं।
नयी दिल्ली स्थित ‘हेल्थ सिस्टम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म’ और ‘पॉपुलेशन काउंसिल कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड’ के शोधकर्ताओं ने पाया कि इस क्षेत्र में हर चार में से एक पुरुष के पास स्वास्थ्य बीमा है, जिसमें सबसे अधिक इंडोनेशिया में 56 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास है और सबसे कम म्यांमा में हैं, जहां केवल 1.5 प्रतिशत पुरुषों के पास बीमा है।
टीम ने पाया कि भारत में स्वास्थ्य बीमा लेने की व्यापकता महिलाओं में 53 प्रतिशत तथा पुरुषों में 56 प्रतिशत थी।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की महिलाओं और पुरुषों के लिए स्वास्थ्य बीमा का उच्चतम स्तर इंडोनेशिया में रहा जबकि सबसे कम स्तर क्रमशः बांग्लादेश और म्यांमा में रहा।
अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि हर किसी को अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिलनी चाहिए, और इलाज के लिए लोगों को आर्थिक परेशानी नहीं झेलनी चाहिए। यही ‘यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी)’ का मकसद है। यह लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में से एक है। खासकर डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए यह बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी, इस क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल की मांग और लागत बढ़ने की संभावना है।
अध्ययन में किस के पास स्वास्थ्य बीमा है, का पता लगाने के लिए सामाजिक-आर्थिक और जनसांख्यिकीय कारकों का विश्लेषण किया गया, जिसमें हर पांच साल में डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में आयोजित जनसांख्यिकीय और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-2022) के आंकड़ों का उपयोग किया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र (दक्षिण-पूर्व एशिया) में लगभग पांच में से एक महिला के पास किसी न किसी तरह का स्वास्थ्य बीमा है।’’
भाषा
प्रीति वैभव
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