कोलकाता, 14 जुलाई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि वह ओडिशा और दिल्ली में पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाने वाली दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा।
हालांकि, अदालत को एक वकील ने मौखिक रूप से सूचित किया कि दो श्रमिक (सैनूर इस्लाम और रकीबुल इस्लाम) ओडिशा से अपने घर लौट आए हैं।
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि इस मामले पर 16 जुलाई को सुनवाई होगी तथा इसी के साथ दिल्ली में कथित तौर पर अवैध रूप से हिरासत में लिए गए बंगाल के अन्य प्रवासी श्रमिकों से संबंधित अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी।
जब याचिकाकर्ताओं के वकील ने वर्चुअल रूप से पेश होकर दावा किया कि पश्चिम बंगाल के कई अन्य प्रवासी कामगार ओडिशा में हिरासत में हैं, तो न्यायमूर्ति रीतोब्रतो कुमार मित्रा की सदस्यता वाली खंडपीठ ने उन्हें अपने मुवक्किल के मामले तक ही अपनी दलीलें सीमित रखने का निर्देश दिया।
दो प्रवासी श्रमिकों के परिजनों ने अलग-अलग याचिकाओं में आरोप लगाया कि उन्हें जगतसिंहपुर जिले में ओडिशा पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया है।
खंडपीठ ने 11 जुलाई को ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस बारे में प्रासंगिक दस्तावेज पेश करे कि क्या दोनों को हिरासत में लिया गया है या वे लापता हैं।
पीठ ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे आदेश के अनुपालन के लिए अपने ओडिशा समकक्ष के साथ समन्वय करें और सुनवाई की अगली तारीख को इस अदालत के समक्ष सभी आवश्यक निर्देश और दस्तावेज पेश करें।
दिल्ली में पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाने वाली दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली प्रशासन को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि क्या वे हिरासत में हैं।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक कानूनी उपाय है जिसमें किसी ऐसे व्यक्ति को पेश करने का निर्देश मांगा जाता है जो लापता हो या अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो।
भाषा संतोष नेत्रपाल
नेत्रपाल