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Monday, July 14, 2025

शुल्क में कटौती के बावजूद जून में भारत का कच्चे तेल का आयात 15.49 लाख टन पर स्थिर

Newsशुल्क में कटौती के बावजूद जून में भारत का कच्चे तेल का आयात 15.49 लाख टन पर स्थिर

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) भारत का वनस्पति तेल आयात जून में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15.49 लाख टन पर स्थिर रहा है, जबकि कच्चे खाद्य तेलों की खेप में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सोमवार को यह जानकारी दी।

कच्चे तेल के आयात में यह वृद्धि सरकार द्वारा कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल सहित कच्चे खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 31 मई से 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने के बाद हुई है।

जून, 2024 में खाद्य और अखाद्य दोनों प्रकार के वनस्पति तेलों का कुल आयात 15.50 लाख टन रहा था।

खाद्य तेल श्रेणी में, कच्चे सूरजमुखी तेलों को छोड़कर, अन्य कच्चे खाद्य तेलों आयात जून, 2025 में 25.64 प्रतिशत बढ़कर 11.51 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले जून में 9.16 लाख टन था।

हालांकि, कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात जून में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 53.58 प्रतिशत घटकर 2.61 लाख टन रह गया।

एसईए के आंकड़ों के अनुसार, जून, 2025 में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का आयात एक साल पहले के 6.37 लाख टन से 23.55 प्रतिशत बढ़कर 7.88 लाख टन हो गया, जबकि कच्चे सोयाबीन तेल का आयात जून, 2024 के 2.75 लाख टन से 30.39 प्रतिशत बढ़कर 3.59 लाख टन हो गया।

कच्चे पाम कर्नेल तेल (सीपीकेओ) का आयात जून में 33.33 प्रतिशत बढ़कर 4,000 टन हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 3,000 टन था।

कच्चे खाद्य तेलों (सीपीओ, सीपीकेओ, कच्चा सूरजमुखी और कच्चे सोयाबीन तेल) का कुल आयात जून, 2025 में 11.51 लाख टन रहा।

रिफाइंड खाद्य तेलों में, आरबीडी पामोलिन का आयात जून में बढ़कर 1.63 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 1.45 लाख टन था।

जून, 2024 में गैर-खाद्य तेलों का आयात 23,178 टन से घटकर जून, 2025 में 18,497 टन रह गया।

एसईए ने कहा कि नैफेड, हाफेड और एनसीडीईएक्स सहित एजेंसियों के पास वर्तमान में लगभग 14 लाख टन सोयाबीन और इतनी ही मात्रा में रैपसीड है। एसईए ने कहा, ‘‘खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र सरकार आगामी फसल से पहले, अगले तीन महीनों में स्टॉक को पर्याप्त मात्रा में बाजार में जारी करने पर विचार कर सकती है।’’

उद्योग निकाय ने कहा कि खरीफ सोयाबीन फसल की कटाई केवल ढाई महीने में होने की उम्मीद है, इसलिए इन स्टॉक को जल्दी बेचने से त्योहारी सत्र के दौरान कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी।

एसईए ने कहा, ‘‘समय पर की गई कार्रवाई से न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि सरकारी एजेंसियों पर वित्तीय और लॉजिस्टिक्स संबंधी बोझ भी कम होगा, साथ ही खाद्य तेलों की समग्र घरेलू उपलब्धता को भी बढ़ावा मिलेगा।’’

दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत के पास जुलाई तक 15.68 लाख टन खाद्य तेल का स्टॉक था।

तेल वर्ष 2024-25 (नवंबर 2024-जून 2025) के पहले आठ महीनों में, कुल वनस्पति तेल आयात 94.34 लाख टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 102.29 लाख टन से आठ प्रतिशत कम है।

इंडोनेशिया और मलेशिया भारत के प्रमुख पाम तेल आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि अर्जेंटीना, ब्राज़ील और रूस सोयाबीन तेल की आपूर्ति करते हैं। रूस और यूक्रेन सूरजमुखी तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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