(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद रक्षा संबंधी रेल डिब्बों की सही संख्या का पता लगाने के लिए की गई कवायद के दौरान, रेलवे बोर्ड को ऑनलाइन डिब्बा प्रबंधन प्रणाली के आंकड़े और प्रत्यक्ष रूप से दर्ज आंकड़े के बीच अंतर मिला। इसके बाद 15 और 16 जुलाई को इन डिब्बों की गणना करने का फैसला किया गया।
रक्षा संबंधी रेल के डिब्बे विशेष रूप से रक्षा कर्मियों, उपकरणों और अन्य आपूर्तियों के परिवहन के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लगभग एक पखवाड़े बाद, (सेना मुख्यालय में स्थित रेल मंत्रालय की विशेष शाखा) ‘मिलरेल’और मंत्रालय के अधिकारियों ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर रखे गए रक्षा संबंधी डिब्बों की कुल संख्या का पता लगाने के लिए एक बैठक की। ‘मिलरेल’ भारतीय रेलवे की एक विशेष शाखा है।
रेल मंत्रालय द्वारा 10 जुलाई 2025 को सभी जोन को जारी परिपत्र में कहा गया है, “23.05.2025 को रेलवे बोर्ड में ‘मिलरेल’ के कार्यकारी निदेशक के साथ हुई बैठक में यह पाया गया कि ‘मिलरेल’ डिब्बों की संख्या के संबंध में आईआरएफएमएम (भारतीय रेलवे माल ढुलाई रखरखाव प्रबंधन) में उपलब्ध आंकड़ों और ‘मिलरेल’ कार्यालय में उपलब्ध आंकड़ों में अंतर है।”
परिपत्र में कहा गया है कि गणना 15 जुलाई 2025 को शुरू होगी और 16 जुलाई 2025 तक पूरी हो जानी चाहिए।
गणना प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रक्रिया में, अन्य बातों के साथ-साथ, सड़क किनारे, मरम्मत लाइनों या कार्यशालाओं में खड़े खराब (सिक) डिब्बों समेत ऐसे अन्य डिब्बों को भी शामिल किया जाएगा जिन्हें लंबे समय से निरीक्षण के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया है।
इसमें कहा गया है कि यह आदेश एक संयुक्त अभियान के लिए है जिसे भारतीय रेलवे परिसर में ऑपरेटिंग और कैरेज एवं वैगन विभाग द्वारा और रक्षा ‘साइडिंग्स’(अलग से निर्धारित पटरियां) पर मिलरेल द्वारा चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य है डिब्बों को ढूंढना, पहचानना और उनकी (फोटो सहित)जानकारी को एक विशेष मॉड्यूल (वैगन सेंसस) के ज़रिए आईआरएफएमएम ऐप्लिकेशन में अपडेट करना, ताकि सक्रिय डिब्बों का रिकॉर्ड सही किया जा सके।
मंत्रालय ने सभी रेल मंडलों से इस कार्य में संबंधित अधिकारियों की मदद करने के लिए कई संयुक्त टीमें गठित करने का आग्रह किया है।
भाषा
नोमान संतोष
संतोष